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फतवे व राष्ट्रपति की अपील के बावजूद पाकिस्तानी उलेमा मस्जिदें बंद न करने पर अड़े

कोरोना वायरस खतरे के मद्देनजर मस्जिदों में जुमा व अन्य सामूहिक नमाजें नहीं पढ़ने के मिस्र के प्रसिद्ध अल अजहर विश्वविद्यालय के फतवे और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की अपील का पाकिस्तान के उलेमा पर कोई असर नहीं हुआ है.

Updated on: 27 Mar 2020, 06:22 AM

इस्लामाबाद:

कोरोना वायरस खतरे के मद्देनजर मस्जिदों में जुमा व अन्य सामूहिक नमाजें नहीं पढ़ने के मिस्र के प्रसिद्ध अल अजहर विश्वविद्यालय के फतवे और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की अपील का पाकिस्तान के उलेमा पर कोई असर नहीं हुआ है. उन्होंने साफ कहा है कि कुछ एहतियात के साथ मस्जिदों में सामूहिक नमाजें जारी रहेंगी. जियो न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉ आरिफ अल्वी ने मिस्र के विश्व प्रसिद्ध धार्मिक अल अजहर विश्वविद्यालय के मुख्य मुफ्ती व सर्वोच्च परिषद द्वारा दिए गए फतवे के मद्देनजर पाकिस्तान में सामूहिक नमाजों को बंद करने पर विचार का उलेमा से आग्रह किया था.

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अल अजहर विश्वविद्यालय के मुख्य मुफ्ती व सर्वोच्च परिषद द्वारा दिए गए फतवे में कहा गया है कि किसी देश की सरकार जुमे समेत अन्य सामूहिक नमाजों को रोक सकती है. कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटने के लिए सरकार पूरे देश में लोगों के जमावड़े को रोक सकती है.

फतवे में मुहम्मद साहब के इस कथन (हदीस) का हवाला दिया गया है कि किसी प्राकृतिक आपदा में नमाजें घर में पढ़ी जानी चाहिए. इसी फतवे के संदर्भ में पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने देश के उलेमा से इस पर विचार करने और देश को कोरोना से बचाने में मदद देने का आग्रह किया.

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लेकिन, उलेमा ने साफ कर दिया कि ऐसा मुमकिन नहीं है. मुफ्ती मुनीब उर रहमान व कई अन्य मुफ्तियों ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि जो भी कोरोना संदिग्ध या अस्वस्थ नहीं है, वह मस्जिदों में आएगा और पांचों वक्त की फर्ज नमाजें व जुमे की नमाज सामूहिक रूप से अदा करेगा. फर्ज के अलावा जो अन्य सुन्नत नमाजें हैं, उन्हें मस्जिद के बजाए घरों में पढ़ा जाए.