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न कोई धार्मिक ग्रंथ न अनुयायी, फिर भी नए अब्राहमी धर्म को लेकर विवाद 

मिस्र धार्मिक एकता के लिए शुरू हुई मुहिम, अभी तक अब्राहमी धर्म की कोई नीव नहीं रखी गई है, इसके बावजूद अभी से विवाद खड़ा हो गया है. 

Updated on: 18 Nov 2021, 05:57 PM

highlights

  • विशेषज्ञों के अनुसार अब्राहमी धर्म को एक धार्मिक प्रोजेक्ट माना जा सकता है
  • अरब देशों में अब्राहमी धर्म की चर्चा बीते एक साल से लगातार हो रही है
  • पैगंबर अब्राहम के नाम पर नया धर्म बनाने की कोशिश हो रही है

नई दिल्ली:

अरब देशों में एक नया धर्म पनप रहा है। हालांकि इस धर्म की कोई अधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, मगर अब्राहमी धर्म की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। मिस्र धार्मिक एकता के लिए शुरू हुई मुहिम फैमली हाउस की दसवीं वर्षगांठ के मौके पर धर्म को लेकर  की टिप्पणी के बाद खूब आलोचना हो रही है. गौरतलब है कि अब तक अब्राहमी धर्म की कोई नीव नहीं रखी गई है और न ही इसका कोई अनुयायी मौजूद है. इतना की नहीं इसका कोई धार्मिक ग्रंथ भी नहीं है। इसके बावजूद इस धर्म की चर्चा तेज हो चुकी है .

क्या है अब्राहमी धर्म 

विशेषज्ञों के अनुसार अब्राहमी धर्म को एक धार्मिक प्रोजेक्ट माना जा सकता है. इस योजना के तहत इस्लाम, ईसाई और यहूदी धर्म के बीच समानता को ध्यान में रखते हुए पैगंबर अब्राहम के नाम पर नया धर्म बनाने की कोशिश हो रही है. इसका मकसद तीनों धर्म के बीच मतभेदों को दूर करना है. अरब देशों में अब्राहमी धर्म की चर्चा बीते एक साल से लगातार हो रही है. इसको लेकर विवाद जारी है. 

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क्यों हो रहा विरोध है?

मिस्र फैमिली हाउस की दसवीं वर्षगांठ के मौके पर अल-अजहर के सर्वोच्च इमाम अहमद अल तैय्यब ने धर्म की आलोचना करी है. उनका कहना है कि जो लोग ईसाई, यहूदी और इस्लाम के एकीकरण का आह्वान करेंगे, वे कहेंगे कि उन्हें सभी बुराइयों से छुटकारा मिलेगा. मगर दूसरे धर्मों का सम्मान और उन्हें मानना ​​दो अलग-अलग बाते हैं. उनका कहना है कि सभी धर्मों को साथ लाना संभव नही है. मिस्र के पादरियों ने भी अब्राहमी धर्म के अस्तित्व को मानने से इनकार किया है. उनका कहना है कि अब्राहमी धर्म धोखे और शोषण की आड़ में एक राजनीतिक आह्वान है.