भगोड़ा आतंकवादी दाऊद इब्राहिम के खास सहयोगी जबीर मोती ने अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ सुनवाई के दौरान वहां की जेल की स्थिति का हवाला दिया. प्रत्यर्पण से बचने के लिए उसने अमेरिकी फाइनेंसर और यौन अपराधों के गुनहगार जेफ्री एप्सटीन की आत्महत्या के मामले का संदर्भ दिया. आपराधिक नेटवर्क की ओर से 14 लाख डॉलर के धनशोधन के आरोपों पर मोती खुद को अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में मुकदमा लड़ रहा है.
मोती के वकील एडवर्ड फिजगेराल्ड ने कहा कि अगर उसके मुवक्किल को न्यूयार्क की जेल में भेजा गया तो उसके खुदकुशी करने की आशंका है. वकील ने अपनी दलील के समर्थन में सोमवार को अमेरिका से वीडियो लिंक के जरिए दो सेवानिवृत्त जेल वार्डन की गवाही करायी. अमेरिका की एक जेल को लेकर सवाल उठे थे, क्योंकि अगस्त में मेट्रोपोलिटन करेक्शनल सेंटर (एमसीसी) में एप्सटीन वहां मृत पाया गया था.
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एमसीसी के पूर्व वार्डन मौरीन बेयर्ड ने कहा, ‘एप्सटीन के मामले को देखते हुए मुझे नहीं लगता कि उसकी (मोती की) मानसिक स्थिति (जेल में रहने के लिए) ठीक है.’ अदालत ने ब्रूकलिन में मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर के एक पूर्व वार्डन का बयान भी दर्ज किया. मोती के प्रत्यर्पण की स्थिति में जेल भेजे जाने से पहले उसे यहीं रखे जाने की संभावना है.
सोमवार को हुई सुनवाई में प्रत्यर्पण मामले में बयान दर्ज किए गए. न्यायाधीश के सामने 27 नवंबर तक दलीलें दी जा सकती हैं. उसी दिन न्यायाधीश फैसले की तारीख के बारे में बताएंगे.