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Coronavirus का सच चीन के सैन्य अधिकारी ने खोला, लैब में तैयार हुआ था वायरस, पूरी कहानी जान दहल जाएंगे

चीन के सैन्य अधिकारी ने बताया कि जैविक एजेंट लैब में तैयार हुआ था. हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बनाया गया था. इस वायरस के बारे में अमेरिका को पता था.

Updated on: 29 Mar 2020, 08:45 PM

नई दिल्ली:

चीन से निकला कोरोना वायरस (coronavirus)पूरी दुनिया में तबाही फैला रहा है. कोरोना वायरस आखिर कैसे पनपा इसे लेकर अबतक कई थ्योरी सामने आ चुकी है. लेकिन अभी तक यह पूरी तरह साफ नहीं हो पाया है कि वायरस क्या है और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई. लेकिन इस रहस्य से पर्दा चीन के सैन्य खुफिया अधिकारी ने उठाया है. उसने जो खुलासा किया है वो बेहद ही चौंकाने वाला है.

अपनी पहचान को गुप्त रखते हुए अधिकारी ने वायरस के बारे में वास्तविक सच्चाई का खुलासा किया है, जिसने दुनिया भर में लाखों लोगों को संक्रमित किया है. उन्होंने बताया कि चीन कोरोना वायरस को लेकर झूठ बोल रही है, अगर सच्चाई सामने आ जाए तो सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंक सकती है.

हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनकारियों पर गिराना चाहते थे जैविक एजेंट

चीन के कम्यूनिस्ट पार्टी का सदस्य रह चुके इस अधिकार ने शी जिनपिंग (xi jinping) सरकार की पोल खोलकर रख दी. उसने कोरोना वायरस को लेकर जो कहानी बताई उससे जानकर लोग दहल जाएंगे. अधिकारी ने बताया कि शी जिनपिंग हॉन्ग कॉन्ग में प्रदर्शन को शांत कराना चाहते थे. वो प्रदर्शनकारियों पर हेलीकॉप्टर के सहारे जैविक एजेंट का छिड़काव करना चाहते थे. वैसा जैविक एजेंट जिस पर गिरता वो मानसिक रूप से विक्षिप्त हो जाता या फिर उसका व्यवहार बदल जाता.

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लेख लिखने वाला अधिकारी भी चीन के उस परियोजना का हिस्सा था. अधिकारी की मानें तो चीन ने इस परियोजना को बंद कर दिया क्योंकि हॉन्ग कॉन्ग (Hong Kong ) का प्रदर्शन पर पूरी दुनिया की नजर थी. इस तरह के जैविक एजेंट का छिड़काव करना बहुत खतरनाक हो सकता था. अगर ऐसा किया जाता तो पूरी दुनिया का ध्यान इस ओर आ जाता. इसलिए चीन ने एक अलग ही खतरनाक तरीका निकाला.

इस्लामीक कट्टरपंथियों पर जैविक एजेंट का किया गया परीक्षण

चीन ने इस जैविक हथियार का परीक्षण करने के लिए सबसे पहले इस्लामी कट्टरपंथियों को चुना. चीन ने जिनजियांग प्रांत में एक प्रशिक्षण शिविर में इसका परीक्षण किया. जब चीन ने लोगों के शरीर पर इस खतरनाक एजेंट का परीक्षण किया, तो परिणाम भयावह थे. जिन लोगों में यह जैविक एजेंट डाला गया उनका शरीर पिघलना शुरू हो गया.

चीन के अधिकारी के मुताबिक अमेरिका की इंटेलिजेंस एजेंसी को भी इस जैविक एजेंट की खबर मिली थी. और सीआईए ( CIA) भी इसमें दिलचस्पी दिखा रही थी. अमेरिका ने चीन के लैब में तैयार हो रहे वायरस की खबर को पहले ही जान लिया था. अमेरिका चीन से यह वायरस खरीदना चाहता था. लेकिन उनके बीच यह सौदा नहीं हुआ.

अमेरिका भी चीन से लेना चाहता था यह जैविक एजेंट

अधिकारी ने बताया, 'हमारे अमेरिकी दोस्तों ने भी वायरस में रुचि दिखाई. हमारे सीआईए के साथ अच्छे संबंध हैं लेकिन क्योंकि यह बहुत खतरनाक था, हमने इनकार कर दिया.'

सीआईए को लगा कि चीन बहुत ही पावरफुल चीज बना रहा है और उसे गुप्त रखना चाहता है. अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसी ने एक चीनी शोधकर्ता को एक बड़ी रकम की पेशकश की और उस वायरस की मांग की. शोधकर्ता इसके लिए तैयार हो गया और अमेरिकी एजेंसी के लिए वायस का नमूना तैयार किया.

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चुपके से यूएस के एजेंट ने की थी डील

जब यूएस एजेंट शोधकर्ता के साथ डील कर रहा था तो इस बात की भनक सरकार को लग गई. शोधकर्ता और यूएस एजेंट को पकड़ने के लिए गोलीबारी भी हुई. लेकिन एजेंट भागने में कामयाब हुआ. यह गोलीबारी जानवरों के बाजार के पास हुई. जिस बोतल में वायरस का नमूना था वह वहां गिर गया.

सच छुपाने के लिए चमगादड़ को लाया गया बीच में

यही कारण है कि वुहान में यह वायरस फैल गया. चीन ने यह कहते हुए इसे छिपाने की कोशिश की कि यह चमगादड़ से फैलता है. चीन ने लोगों से झूठ बोला कि वुहान में केवल फ्लू फैला है, लेकिन धीरे-धीरे पूरी दुनिया उस वायरस की चपेट में आ गई जो चीन ने अपनी लैब में बनाया था.