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China का झूठ बेनकाब; COVID मानव निर्मित वायरस था, Wuhan लैब में काम कर चुके वैज्ञानिक का खुलासा

न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार एंड्रयू हफ ने अपनी किताब में दावा किया है कि चीन के कोरोना वायरस से जुड़े गेन-ऑफ-फंक्शन प्रयोग सुरक्षा के समुचित इंतजामों के बीच किए गए. नतीजतन घातक कोविड-19 वायरस लीक हो गया.

Updated on: 05 Dec 2022, 03:27 PM

highlights

  • वुहान लैब में काम कर चुके अमेरिकी वैज्ञानिक एंड्रयू हफ का खुलासा
  • इस लैब को कोरोना वायरस पर प्रयोग के लिए फंड अमेरिका ने दिए थे
  • चीन की वुहान प्रयोगशाला पर ही कोरोना वायरस लीक का है आरोप

वॉशिंगटन:

चीन के वुहान (Wuhan) में स्थित एक विवादास्पद अनुसंधान प्रयोगशाला में काम कर चुके अमेरिकी वैज्ञानिक ने हतप्रभ कर देने वाला रहस्योद्घाटन किया है, जो कोरोना संक्रमण के जनक के तौर पर चीन को कठघरे में खड़ा कर उसके झूठ को बेनकाब करता है. उसने दावा किया है कि वास्तव में कोविड-19 (COVID-19) एक मानव निर्मित वायरस था, जो प्रयोगशाला से लीक हो गया. यानी दुनिया का शक सही है कि कोविड-19 चीन (China) सरकार द्वारा संचालित और वित्त पोषित वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में ही तैयार किया गया. न्यूयॉर्क पोस्ट ने ब्रिटिश अखबार 'द सन' में अमेरिकी वैज्ञानिक और शोधकर्ता एंड्रयू हफ के बयान के हवाले से बताया कि कोविड-19 वायरस दो साल पहले वुहान से लीक (Leak) हुआ था. एंड्रयू हफ ने अपनी हालिया किताब 'द ट्रुथ अबाउट वुहान' में दावा किया है कि अमेरिकी सरकार चीन की वुहान प्रयोगशाला में कोरोना वायरस (Corona Virus) को तैयार करने के लिए फंड उपलब्ध करा रही थी. हफ की किताब के कुछ अंश ब्रिटेन के अखबार 'द सन' में प्रकाशित हुए हैं. न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक एंड्रयू हफ इकोहेल्थ एलायंस के पूर्व उपाध्यक्ष हैं, जो न्यूयॉर्क स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन है और संक्रामक रोगों का अध्ययन करता है.

चीन में कोरोना वायरस से जुड़े प्रयोग सुरक्षा इंतजामों के बगैर किए गए
न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार एंड्रयू हफ ने अपनी किताब में दावा किया है कि चीन के कोरोना वायरस से जुड़े गेन-ऑफ-फंक्शन प्रयोग सुरक्षा के समुचित इंतजामों के बीच किए गए. गेन-ऑफ-फंक्शन प्रयोग से तात्पर्य ऐसे चिकित्सकीय अनुसंधान से होता है, जहां किसी जीव में आनुवांशिक बदलाव लाकर उसके जैविक कार्यों को बढ़ाया जा सकता है. गौरतलब है कि वुहान लैब कोविड-19 की उत्पत्ति पर वैश्विक बहस के केंद्र में रही है. वायरस को यहीं तैयार करने और लीक होने का आरोप अमेरिका समेत कई देशों ने लगाया था. हालांकि चीन सरकार के अधिकारी और वुहान लैब के कर्मचारी इस बात से इनकार करते आए हैं कि वायरस की उत्पत्ति वुहान प्रयोगशाला में हुई. एंड्रयू हफ ने अपनी किताब में लिखा है, 'चीन में स्थित प्रयोगशालाओं में उचित जैव सुरक्षा और जोखिम प्रबंधन सुनिश्चित करने के पर्याप्त उपाय नहीं थे, जिसके परिणामस्वरूप वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की प्रयोगशाला से वायरस लीक हुआ.' गौरतलब है कि एक दशक से अधिक समय से राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) के वित्त पोषण की मदद से वुहान लैब में चमगादड़ों में पाए जाने वाले कई कोरोना वायरस का अध्ययन हुआ है. यहां यह जानना भी बेहतर रहेगा कि एनआईएच बायोमेडिकल और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान से जुड़ी अमेरिकी सरकार की मुख्य एजेंसी है.

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चीन को खतरनाक जैव प्रौद्योगिकी अमेरिका ने उपलब्ध कराई थी
2014 से 2016 तक इकोहेल्थ एलायंस में काम करने वाले एंड्रयू हफ के मुताबिक गैर सरकारी संगठन ने सालों तक वुहान प्रयोगशाला की आर्थिक मदद की. वुहान स्थित प्रयोगशाला में चमगादड़ों में मौजूद कोरोना वायरस के जीन में बदलाव लाने का प्रयोग चल रहा था ताकि वह अन्य प्रजातियों पर हमला कर उन्हें खत्म कर सके.  एंड्रयू हफ ने दावा किया है, 'चीन पहले दिन से जानता था कि यह आनुवंशिक रूप से तैयार किया गया वायरस था. यही नहीं, चीन को खतरनाक जैव प्रौद्योगिकी देने के लिए अमेरिकी सरकार को दोषी ठहराया जा सकता है. न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार हफ ने बताया, 'मैंने जो देखा उससे मैं डर गया. हम उन्हें मानव जाति के लिए बेहद खतरनाक जैविक हथियार तकनीक सौंप रहे थे.' न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक प्रोपब्लिका वैनिटी फेयर द्वारा प्रकाशित एक हालिया जांच के अनुसार वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी सबसे खतरनाक कोरोना वायरस से जुड़े अनुसंधान का केंद्र है. वुहान की इस अनुसंधान प्रयोगशाला पर सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का भारी दबाव है कि संसाधनों की कमी के बावजूद वैश्विक स्थिति मजबूत करने के लिए नए-नए वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया जाए.