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यूरोप के कुछ देशों के लिए COVID-19 अब महामारी नहीं रहा, WHO का क्या है विचार? 

स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सेन्चेज़ ने कहा था कि मृत्य दर का गिरना यह बताता है कि यूरोपीय अधिकारियों को अब बीमारी के स्थानिक किए जाने पर विचार करना शुरू कर देना चाहिए.

Updated on: 21 Jan 2022, 05:27 PM

नई दिल्ली:

दुनिया के तमाम देशों में कहर बरपाने के बाद अह कोरोना संक्रमण घट रहा है. यूरोप को देशों में संक्रमण कम हुआ है तो एशिया के देशों में भी कोरोना संक्रमण देखने को  मिल रहा है. इस बीच यूरोप के कुछ देश जैसे स्पेन में कोविड-19 (Covid-19 in Spain) को एक एंडेमिक यानी स्थानिक बीमारी (Endemic Disease) के तौर पर लिए जाने पर विचार चल रहा है. लेकिन वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य अधिकारियों ने इसे लेकर चेतावनी दी है. उनका कहना है कि दुनिया को महामारी (Corona Pandemic) के खत्म होने की घोषणा करने में जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए.

महामारी और स्थानिक में क्या अंतर

जब कोई बीमारी किसी निश्चित क्षेत्र में नियमित तौर पर कुछ स्थापित स्वरूप में नजर आती है तो उसे स्थानिक (एंडेमिक) कहा जाता है. वहीं महामारी (पैंडेमिक) का मतलब होता है कि वैश्विक स्तर पर जब कोई अनजान बीमारी एक लहर की तरह उठती है और पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लेती है.

वायरस लगातार रूप बदल रहा है

कोपनहेगन (डेनमार्क) में यूरोपियन मुख्यालय में संक्रामक बीमारी विशेषज्ञ कैथरीन स्मालवुड का कहना है कि वायरस को लेकर अभी भी कई सारी अनिश्चिताएं बरकरार हैं और यह लगातार अपना रूप बदल रहा है. ऐसे में इसे दोबारा परिभाषित करके स्थानिक की श्रेणी में डालना अभी उचित कदम नहीं होगा. कई देशों में इसे स्थानिक बीमारी घोषित करने पर जो सबसे बड़ी मुश्किल खड़ी होगी वह यह है कि इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के तौर पर नहीं लिया जाएगा. जिसका मतलब यह हुआ कि इस पर कम संसाधन लगाए जाएंगे.

कोविड को स्थानिक माना जाए ये फैसला किसका

दुनिया के कई अमीर देश शायद अपनी सीमाओं के भीतर इसके प्रकोप के मुताबिक इस बात का फैसला लेंगे. कोविड-19 की वैक्सीन, दवा और दूसरे तरीके जो इन अमीर देशों में व्यापक स्तर पर उपलब्ध हैं वह इन्हें तब तक इस बीमारी पर लगाम लगाने में मदद करेगा, जब तक यह बीमारी वैश्विक स्तर पर नियंत्रण में नहीं आ जाती है. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपातकाल प्रमुख डॉ. माइकल रेयान का कहना है कि यह कुछ हद तक निजी फैसला हो सकता है क्योंकि यहां बात सिर्फ मामलों की संख्या की नहीं है बल्कि उसकी गंभीरता और उसके असर की भी है. लेकिन ऐसा माना जाता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा के बाद महामारी को खत्म मान लिया जाएगा, हालांकि इसे लेकर कोई तय मानदंड नहीं है. वहीं कोविड को स्थानिक बीमारी घोषित करने को लेकर कुछ लोग इसे वैज्ञानिक से ज्यादा राजनीतिक कदम बता रहे हैं.

एंडेमिक या स्थानिक को लेकर स्पेन का प्रस्ताव

स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सेन्चेज़ ने कहा था कि मृत्य दर का गिरना यह बताता है कि यूरोपीय अधिकारियों को अब बीमारी के स्थानिक किए जाने पर विचार करना शुरू कर देना चाहिए. इसका मतलब यह है कि स्पेन में कोविड से जुड़े मामलों का रिकॉर्ड दर्ज करने की ज़रूरत नहीं होगी, और जिनमें कुछ लक्षण नज़र आते हैं उनकी जांच करना भी ज़रूरी नहीं होगा, बस वह बीमारों का उपचार करना जारी रखेंगे. इस प्रस्ताव को यूरोपीय संघ के अधिकारियों के बीच रखा गया है, लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. इसके पहले अक्टूबर में यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेन्शन एंड कंट्रोल ने एक परामर्श जारी करते हुए कहा था कि कोविड-19 के मामलों की निगरानी भी दूसरी बीमारी जैसे फ्लू की तरह की जानी चाहिए और प्रत्येक व्यक्ति के लक्षणों की जांच को जरूरी नहीं रखना चाहिए.

एंडेमिक का मतलब परेशानी खत्म

ऐसा बिल्कुल नहीं है, कई गंभीर बीमारियां जैसे टीबी, एचआईवी को दुनिया के कई देशों में एंडेमिक घोषित किया गया है, लेकिन उसके बाद भी इससे हर साल हजारों लोगों की जान जाती है. इसी तरह मलेरिया जिसे उप-सहारा अफ्रीका के कई हिस्सों में एंडेमिक यानी स्थानिक माना जा चुका है उसके चलते हर साल अनुमानित तौर पर 20 करोड़ मामले सामने आते हैं. जिसमें करीब 6 लाख मौतें भी शामिल हैं. रेयान का कहना है कि एंडेमिक का मतलब कुछ अच्छा नहीं है बल्कि यह है कि बीमारी अब हमेशा साथ में रहने वाली है. वहीं स्वास्थ्य अधिकारियों का भी यही मानना है कि भले ही बीमारी को दूसरी सांस की बीमारी जैसे फ्लू की तरह मौसमी घोषित कर दिया जाए लेकिन इसके बाद भी यह वायरस घातक रहेगा. बस फर्क इतना रहेगा कि आगे लोगों की मौत कम होने की आशंका रहेगी.