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कोरोना वायरस: हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का परीक्षण बंद कर रहा है WHO, जानिए वजह

डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वह अस्पताल में भर्ती कोरोना से संक्रमित मरीजों के उपचार में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के प्रभावी होने या नहीं होने के संबंध में चल रहे परीक्षण को बंद कर रहा है.

Updated on: 05 Jul 2020, 11:49 AM

बर्लिन:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि वह अस्पताल में भर्ती कोरोना वायरस (Corona Virus) से संक्रमित मरीजों के उपचार में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के प्रभावी होने या नहीं होने के संबंध में चल रहे परीक्षण को बंद कर रहा है. डब्ल्यूएचओ ने शनिवार को कहा कि उसने परीक्षण की निगरानी कर रही समिति की हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) और एचआईवी/एड्स के मरीजों के उपचार के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा लोपिनाविर/रिटोनाविर के परीक्षण को रोक देने की सिफारिश स्वीकार कर ली है.

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संगठन ने कहा कि अंतरिम परिणाम दर्शाते हैं कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और लोपिनाविर/रिटोनाविर के इस्तेमाल से अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीजों की मृत्युदर में कोई कमी नहीं आई या मामूली कमी आई. उसने कहा कि अस्पताल में भर्ती जिन मरीजों को ये दवाएं दी गईं, उनकी मृत्युदर बढ़ने का भी कोई ठोस साक्ष्य नहीं है, वहीं इससे जुड़े परीक्षण के क्लीनिकल प्रयोगशाला परिणाम में इससे जुड़े सुरक्षा संबंधी कुछ संकेत मिले हैं.

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डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह फैसला उन मरीजों पर संभावित परीक्षण को प्रभावित नहीं करेगा, जो अस्पताल में भर्ती नहीं हैं या कोरोना वायरस के संपर्क में आने की आशंका से पहले या उसके कुछ ही देर बाद दवा ले रहे हैं.

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