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वुहान की लैब में पैदा किया गया कोरोना वायरस... अब ब्रिटिश लेखक का दावा

वेड ने कहा कि सबूत इस आशंका को पुख्ता करते हैं कि यह वायरस एक प्रयोगशाला में पैदा किया गया, जहां से वह फैल गया.

Updated on: 21 May 2021, 06:43 AM

highlights

  • अब ब्रिटेन के मशहूर लेखक और संपादक वेड ने जताई लीक की आशंका
  • चीन की वुहान स्थित प्रयोगशाला में चूहों पर प्रयोग के दौरान हुआ लीक
  • कई और ने भी चीन के लैब से लीक होने की थ्योरी को खारिज नहीं किया

लंदन:

बीते साल की शुरुआत में चीन के वुहान (Wuhan) में तबाही मचाने के बाद दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस (Corona Virus) की उत्पत्ति पर वैश्विक बहस जारी है. हर कुछ दिन बाद इस वायरस की उत्पत्ति को लेकर कोई न कोई नई बात लोगों के बीच आ जाती है. ऐसा दावा किया जाता है कि यह वायरस प्राकृतिक नहीं है, बल्कि इसे प्रयोगशाला में बनाया गया है. इस कड़ी में अब विज्ञान (Science) संबंधी मामलों पर लिखने वाले ब्रिटेन (Britain) के मशहूर लेखक और संपादक निकोलस वेड ने भी यह आशंका जाहिर की है. उन्होंने कहा कि चीन के वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी के रिसर्चर्स कोरोना वायरस से मानव कोशिकाओं और मानवकृत चूहों को संक्रमित करने के लिए प्रयोग कर रहे थे.

कोरोना की उत्पत्ति पर उठाए थे सवाल
निकोलस ने बताया कि इसी प्रकार के प्रयोग के कारण कोविड-19 जैसे वायरस के पैदा होने की आशंका है. वेड ने इस महीने की शुरुआत में प्रतिष्ठित 'बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स' में प्रकाशित 'कोविड की उत्पत्ति: वुहान में भानुमती का पिटारा लोगों ने खोला या प्रकृति ने?' शीर्षक वाले लेख में सार्स-सीओवी-2 की उत्पत्ति पर कई सवाल उठाए. कोरोना वायरस दिसंबर 2019 में वुहान से फैला शुरू हुआ था और यह वैश्विक महामारी बन गया. वेड ने कहा कि सबूत इस आशंका को पुख्ता करते हैं कि यह वायरस एक प्रयोगशाला में पैदा किया गया, जहां से वह फैल गया लेकिन इसकी पुष्टि के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है. उन्होंने कहा कि कई लोग जानते हैं कि वायरस की उत्पत्ति को लेकर दो मुख्य अनुमान जताए जा रहे हैं. एक अनुमान यह है कि यह वन्यजीवों से मनुष्यों में प्राकृतिक रूप से आया और दूसरा अनुमान यह है कि इस वायरस पर किसी प्रयोगशाला में अध्ययन किया जा रहा था, जहां से वह फैल गया.

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'गेन ऑफ फंक्शन' प्रयोग की देन है कोरोना वायरस
वेड ने कहा, 'वुहान चीन के मुख्य कोरोना वायरस अनुसंधान केंद्र का घर है, जहां अनुसंधानकर्ता मानव कोशिकाओं पर हमला करने के लिए चमगादड़ संबंधी कोरोना वायरस बना रहे थे.' उन्होंने कहा कि वे न्यूनतम सुरक्षा प्रबंधों के बीच ऐसा कर रहे थे और यदि सॉर्स-2 का संक्रमण वहां से अप्रत्याशित रूप से फैला, तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है. वेड ने कहा कि इस बात के दस्तावेजी सबूत हैं कि वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी के शोधकर्ता मानव कोशिकाओं और मानवीकृत चूहों को कोरोना वायरस से संक्रमित करने के लिए 'गेन ऑफ फंक्शन' प्रयोग कर रहे थे. इसी प्रकार के प्रयोग से सॉर्स-2 जैसा वायरस पैदा हुआ होगा.

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डब्ल्यूएचओ की जांच पर भी संदेह
उन्होंने कहा कि अनुसंधानकर्ताओं का इन वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण नहीं हुआ था और वे न्यूनतम सुरक्षा प्रबंधों के बीच काम कर रहे थे, इसलिए वायरस का वहां से फैलना कोई आश्चर्य की बात नहीं है. उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी वुहान संस्थान के पास से फैली. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत कई लोग भी यह आशंका जता चुके हैं कि वायरस चीन की किसी प्रयोगशाला से फैला. कुछ ही दिनों पहले दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों के एक समूह ने भी कहा है कि वायरस के चीन के लैब से लीक होने की थ्योरी को खारिज नहीं किया जा सकता, जब तक डाटा आधारित गहन जांच के आधार पर इसे खारिज नहीं किया जाता है. वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण की उत्पत्ति और फैलने के बारे में वुहान में की गई जांच में सभी पहलुओं का ध्यान नहीं रखा गया है, साथ ही लैब से वायरस के लीक होने की थ्योरी को जांच के लायक भी नहीं समझा गया.