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इस नई एंटीबॉडी से कोरोना वायरस होगा कमजोर

एक रिसर्च में 1700 से अधिक ऐसे एंटीबॉडी की पहचान की गई है, जो इम्यूनिटी सिस्टम स्पेसिफिक वायरसों पर कॉन्टैक्ट प्वाइंट पर बंधकर रोगाणु को कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकती है.

Updated on: 03 Nov 2021, 06:57 PM

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Corona Virus) की गंभीरता को कम करने के लिए वैज्ञानिकों (Scientists) ने एक ऐसे एंटीबॉडी (Antibody) की पहचान की है, जिससे संक्रमण (Infection) की गंभीरता कम हो सकती है. आपको बता दें कि इस एंटीबॉडी से कोविड-19 (COVID-19) के साथ ही सार्स बीमारियों (SARS Diseases) के संक्रमण को भी रोकने में सफलता मिलेगी. स्टडी में सार्स का प्रकोप फैलाने वाले सार्स-सीओवी-1 (SARS-CoV-1) वायरस से संक्रमित और वर्तमान में कोविड-19 से पीड़ित एक-एक मरीज के ब्लड का एनालिसिस कर उनके शरीर से एंटीबॉडी को अलग किया गया.  

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 आपको बता दें कि स्टडी के सह-वरिष्ठ लेखक (Co-Senior Writer) एवं अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी ह्यूमन वैक्सीन इंस्टीट्यूट (Duke University Human Vaccine Institute) के निदेशक बार्टन हेन्स (Barton Haynes) ने कहा कि इस एंटीबॉडी में मौजूदा वैश्विक महामारी से निपटने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि यह भविष्य में सामने आने वाले प्रकोपों के लिए भी उपलब्ध हो सकता है अगर या जब कभी अन्य कोरोना वायरस अपने प्राकृतिक पशु पोषक से निकलकर मनष्यों में आ जाते हैं.

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रिसर्च करने वालों ने 1,700 से अधिक एंटीबॉडी की पहचान की, जो इम्यूनिटी सिस्टम स्पेसिफिक (Immunity System Specific) वायरसों पर उन स्थानों पर बंधकर रोगाणु (Germs) को कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकती है. उन्होंने कहा कि जब वायरस का उत्परिवर्तन होता है, तो कई संपर्ककारी स्थल (Contact Point) बदल जाते हैं या समाप्त हो जाते हैं, जिससे एंटीबॉडी अप्रभावी हो जाती हैं. रिसर्चर्स ने बताया कि वायरस पर अक्सर ऐसे स्थल होते हैं जो उनके म्यूटेशन के बावजूद अपरिवर्तित रहते हैं.

आपको बता दें कि इस स्टडी में ऐसी एंटीबॉडीज पर फोकस किया जो वायरस के विभिन्न वंशों के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी होने की उनकी क्षमता के कारण इन साइटों को टारगेट करती हैं. इस स्टडी को मंगलवार को साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है.