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अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए रचनात्मक और मानवीय समर्थन जरूरी : जनरल बाजवा

सेना प्रमुख ने पाकिस्तान की सीमा प्रबंधन प्रणाली की प्रभावशीलता के बारे में "संतुष्टि" व्यक्त की.

Updated on: 10 Sep 2021, 07:47 PM

highlights

  • जनरल कमर जावेद बाजवा की अध्यक्षता में रावलपिंडी में कोर कमांडर्स सम्मेलन की बैठक  
  • युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थायी शांति और स्थिरता हासिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील
  • पाकिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए बाहरी और आंतरिक ताकतों को हर कीमत पर नाकाम करने का मंसूबा

नई दिल्ली:

तालिबान के सत्ता में पहुंचने के बाद से अफगानिस्तान में पलायन और विस्थापन जारी है. हजारों अफगान नागरिक  पाकिस्तान समेत कई देशों में शरण के लिए सीमा पार करना चाह रहे हैं. पाकिस्तान में पहले से ही लाखों अफगानी शरणार्थी हैं. तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान को उम्मीद थी कि तालिबान पाकिस्‍तानी सेना के लिए स‍िरदर्द बने तहरीक-ए-तालिबान पर लगाम लगायेगी, लेकिन तालिबान ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान को तगड़ा झटका दिया है. तालिबान ने कहा कि उन्‍होंने तहरीक-ए-तालिबान पर कोई कमिटी नहीं बनाई है. इससे पहले पाकिस्‍तान ने दावा किया था कि उसने तालिबान को टीटीपी के सर्वाधिक वांछित आतंकियों की लिस्‍ट दी है. यही नहीं तालिबान के चीफ हैबतुल्‍ला अखूंदजादा ने टीटीपी पर एक कमिटी का गठन भी किया है. 

पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने रावलपिंडी में जनरल मुख्यालय में कोर कमांडर्स सम्मेलन (सीसीसी) की बैठक की अध्यक्षता करते हुए सैनिकों को देश के खिलाफ पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने का निर्देश दिया है.  
 

थल सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने शुक्रवार को कहा कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थायी शांति और स्थिरता हासिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा रचनात्मक जुड़ाव और निरंतर मानवीय समर्थन "अनिवार्य" था.

इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के महानिदेशक ने ट्वीट की एक श्रृंखला में कहा, बैठक में वैश्विक, क्षेत्रीय और घरेलू सुरक्षा स्थिति की व्यापक समीक्षा की गई. डीजी आईएसपीआर ने कहा कि उसे पड़ोसी देश अफगानिस्तान की स्थिति, पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर सुरक्षा और विभिन्न खतरों के खिलाफ सुरक्षा उपायों के बारे में बताया गया.

सेना प्रमुख ने पाकिस्तान की सीमा प्रबंधन प्रणाली की प्रभावशीलता के बारे में "संतुष्टि" व्यक्त की, जिसके कारण देश की सीमाएं सुरक्षित रहीं और अफगानिस्तान में तेजी से सामने आ रही स्थिति के बीच आंतरिक सुरक्षा बरकरार रही.

उन्होंने "अफगानिस्तान से अन्य देशों में विदेशी और अफगान आबादी को निकालने के समर्थन में किए गए समग्र और पारगमन संबंधी प्रयासों" में पाकिस्तानी सेना की भूमिका और समर्थन की भी सराहना की.

डीजी आईएसपीआर ने कहा कि उन्होंने शांति के लिए पाकिस्तान की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया. बैठक के दौरान फोरम ने सभी क्षेत्रीय हितधारकों के बीच घनिष्ठ सहयोग को दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता स्थापित करने के लिए जरूरी बताया.

इसने अनुभवी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के आजीवन संघर्ष और बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनका इस महीने की शुरुआत में निधन हो गया, और कब्जे वाले कश्मीर में उन लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की, जो भारतीय राज्य द्वारा उत्पीड़न और हिंसा का सामना करना जारी रखते हैं.

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इस बीच, सीओएएस ने मुहर्रम के दौरान सुरक्षा के लिए सैनिकों की भी सराहना की और उन्हें देश के खिलाफ पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने का निर्देश दिया.

सीओएएस ने दोहराया, "पाकिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए बाहरी और आंतरिक ताकतों के मंसूबों को हर कीमत पर नाकाम किया जाएगा।"

एक दिन पहले, देश के नागरिक और सैन्य नेतृत्व ने सभी संबंधित अधिकारियों के समन्वित प्रयासों के माध्यम से फिर से उभरते आतंकवादियों और चरमपंथी समूहों को समाप्त करके सभी बाहरी और आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का सख्ती से सामना करने की कसम खाई थी.

उन्होंने आतंकवाद पर नकेल कसने के लिए जनवरी 2015 में शुरू की गई राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी) की समीक्षा और संशोधन भी किया और तत्कालीन संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों (फाटा) में आतंकवाद विरोधी हमले को पूरक बनाया.