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दावा : काबुल एयरपोर्ट का आत्मघाती हमलावार पांच साल पहले दिल्ली में हुआ था गिरफ्तार

पिछले महीने काबुल एयरपोर्ट पर आत्मघाती करने वाला आतंकी को पांच साल पहले दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था. भारतीय खुफिया एजेंसी ने इस आतंकी को दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर से इसे पकड़ा था.

Updated on: 19 Sep 2021, 10:01 AM

highlights

  • इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत ने एक मैगजीन में किया दावा
  • इस आतंकी को दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर से किया था गिरफ्तार
  • इस आतंकी का नाम आने से खुफिया एजेंसियों की चिंताएं बढ़ी 

 

नई दिल्ली:

पिछले महीने काबुल एयरपोर्ट पर आत्मघाती करने वाला आतंकी को पांच साल पहले दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था. भारतीय खुफिया एजेंसी ने इस आतंकी को दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर से इसे पकड़ा था. इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) ने यह दावा मैगजीन वॉइस ऑफ हिंद नामक एक मैगजीन में किया है. वह आत्मघाती हमलावर पांच साल पहले अगस्त माह में दिल्ली में पकड़ा गया था. इस हमले में 13 अमेरिकी मरीन कमांडर सहित 170 लोग मारे गए थे. इस आतंकी के नाम सामने आने से एक बार फिर भारतीय खुफिया एजेंसियों की चिंताएं बढ़ा दी है. इस हमलावर को दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर स्थित एक कॉलेज में ट्रैक किया गया था.

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यह संदिग्ध छात्र देश में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए आईईडी इकट्ठा कर रहा था. यदि उस समय यह घटना हो जाती तो यह आईएस द्वारा पहला आत्मघाती हमला हो सकता था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकी संगठन ने दावा किया कि अब्दुर रहमान अल-लोगरी नाम का आत्मघाती हमलावर भारत में 'कश्मीर का बदला लेने के लिए' हमला करने के लिए दिल्ली गया था. उस दौरान पूछताछ में इस आतंकी ने कई खुलासे किए थे जिसके आधार पर आईएस के खिलाफ एक गुप्त अभियान भी चलाया था. बाद में खुफिया एजेंसियों ने गिरफ्तार किए गए उस संदिग्ध छात्र को एक गुप्त ऑपरेशन के तहत अफगानिस्तान ले जाया गया. अफगानिस्तान भेजे जाने के बाद इस संदिग्ध 'हैम' (कोड नाम) को अफगानिस्तान के एक जेल में बंद कर दिया गया.

प्रारंभिक सूचना के आधार पर एजेंसी ने कहा है कि हो सकता है कि अमेरिकी सेना के वापस जाने के बाद अगस्त महीने में आईएस द्वारा जेल ब्रेक के दौरान उसे छुड़ा लिया गया हो. गौरतलब है कि काबुल स्थित हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर पिछले महीने हमला ऐसे वक्त में हुआ था जब हजारों की संख्या में अफगानी मुल्क छोड़कर बाहर जाने के लिए यहां पहुंचे थे. इस हमले में 170 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, जिसमें 13 अमेरिकी मरीन कमांडर भी शामिल थे.