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विवादित नागरिकता कानून नेपाल की संसद में पेश, विपक्षी दलों ने कम्युनिस्ट सरकार पर लगाए ये बड़ा आरोप

भारत के साथ सभी प्रकार के द्विपक्षीय संबंध को तहस-नहस करने पर तुली नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने अपने विवादास्पद नागरिकता संबंधी कानून को आज संसद की निचली सदन प्रतिनिधि सभा में पेश कर दिया है.

Updated on: 23 Jun 2020, 03:42 PM

नई दिल्ली:

भारत के साथ सभी प्रकार के द्विपक्षीय संबंध को तहस-नहस करने पर तुली नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने अपने विवादास्पद नागरिकता संबंधी कानून को आज संसद की निचली सदन प्रतिनिधि सभा में पेश कर दिया है. नेपाल (Nepal) में शादी करके आने वाली भारतीय महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और कानूनी अधिकार से वंचित करने के उद्देश्य से नया नागरिकता कानून बनाने जा रही है वहां की सरकार.

दरअसल, नेपाल की ओली सरकार भारत से सभी प्रकार के द्विपक्षीय संबंधों को तहस नहस करना चाहती है. संसद में नागरिकता कानून का नेपाली कांग्रेस के सांसद जीतेंद्र देव विरोध किया. उन्होंने कहा कि कम्युनिस्ट सरकार की सोची समझी रणनीति करार देते हुए आरोप लगाया कि ओली सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी भारत से साथ संबंध खत्म कर देश को चीन की झोली में डालने को बेताब दिखाई दे रही है. उन्होंने इस नागरिकता कानून से देश में गम्भीर राजनीतिक दुर्घटना होने का दावा भी किया है.

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जीतेन्द्र देव ने संसद में जो कहा वो इस प्रकार है, 'भारत‌ के साथ जो वैवाहिक संबंध है उसको धीरे-धीरे योजनाबद्ध तरीके से तोड़ना चाहिए, मिटाना चाहिए समाप्त कर देना चाहिए यह नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी की मानसिकता है. सम्माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या ये रियलिस्टिक है? क्या किसी के तोड़ने से ये संबंध टूटने वाला है? यह संबंध किसी पार्टी के द्वारा, कम्युनिस्ट पार्टी के द्वारा या कांग्रेस पार्टी के द्वारा स्थापित किया गया संबंध नहीं है.

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यह संबंध सदियों से नेपाल भारत की जनता द्वारा, इतिहास के द्वारा सांस्कृतिक आधार पर स्थापित किया गया संबंध है. ये कोई तोड़ नहीं सकता है.