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ताइवन को भारत दौरे के निमंत्रण पर बिफरा चीन (फाइल फोटो)
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ताइवान प्रतिनिधी मंडल के भारत दौरे के बाद बौखलाया चीन। भारत को 'ताइवान कार्ड' खेलने के खिलाफ दी चेतावनी।
ताइवन को भारत दौरे के निमंत्रण पर बिफरा चीन (फाइल फोटो)
ताइवान प्रतिनिधी मंडल के भारत दौरे के बाद चीन की भौहें तन गई हैं। ताइवान के प्रति भारत के रवैये से गुस्साए चीन ने भारत को 'ताइवान कार्ड' खेलने के लिए चेतावनी दी है कि इसके गंभीर परिणाम होंगे।
चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स में एक लेख छपा है जिसमें चीन ने भारत को ताइवान कार्ड खेलने के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि भारत 'ताइवान कार्ड' खेलकर आग से खेलने की कोशिश कर रहा है।
यह चेतावनी चीन ने ताइवान संसद की महिला प्रतिनिधि मंडल के भारत के दौरे के बाद जारी की है। चीन के ग्लोबल टाइम्स ने लेख में कहा है कि, 'नई दिल्ली को ताइवान कार्ड के गंभीर नतीजे भुगतने होंगे।'
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लेख में कहा गया है कि, 'ऐसे वक्त जब नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ताइवान और चीन के मुद्दे को हवा देने के बाद खुद वन चाइना पॉलिसी का सम्मान और समर्थन करने की बात मान ली तब भारत का यह ताइवान कार्ड खेलना आग ख़तरनाक साबित हो सकता है।'
चीन का ग्लोबल टाइम्स वहां की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना का ही पब्लिकेशन है। लेख में सवाल करते हुए लिखा गया है कि, 'भारत और ताइवान के बीच उच्चस्तरीय दौरे अक्सर नहीं होते हैं ऐसे में भारत ने क्यूं ताइवान प्रतिनिधि मंडल को दौरे के लिए आमंत्रित किया है?'
ताइवान की राष्ट्रपति तसाई इंग वेन के प्रशासन संभालने के बाद भारत का पहला दौरा था। तसाई जिन्होंने पिछले साल चुनाव जीता वो चीन से आज़ादी की समर्थक मानी जाती है।
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लेख में कहा गया है कि, 'कुछ भारतीय ताइवान को चीन की कमज़ोर कड़ी के तौर पर देखते हैं। भारत लंबे समय से ताइवान कार्ड खेलने की कोशिश में था, साउथ चाइना सी और दलाई लामा मुद्दों के साथ यह चीन के साथ मोलभाव करने के लिए भारत की नीति में शामिल है।'
लेख कहता है कि भारत विशेष रूप से पाकिस्तान के साथ 46 अरब डालर चीन-पाकिस्तान इकोनॉमी कॉरीडोर (CPEC) परियोजना को लेकर अपने संदेह के चलते चीन के खिलाफ ताइवान कार्ड का उपयोग करने की कोशिश में लगा हो सकता है।
लेख के मुताबिक, 'बीते सालों में चीन-पाकिस्तान इकोनॉमी कॉरीडोर में हो रही बढ़त के साथ भारत की चीन को लेकर चिंताओं में भी इज़ाफा हो रहा है।' लेख में लिखा है कि, 'इस परियोजना को भारत जिद्दी रवैये के चलते ग़लत तरीके से बताता रहा है। इस परियोजना से भारत समेत इससे जुड़ने वाले देशों को फायदा होगा।'
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लेख के मुताबिक, 'जैसे ही कॉरीडोर विवादित कश्मीर से गुज़रेगा, कुछ भारतीय नीतिकारों ने मोदी सरकार को सलाह दी होगी कि ताइवान कार्ड खेला जाए।' लेख कहता है कि, 'भारत के स्टील, टेलीकॉम और आईटी क्षेत्रों में ताइवान का बढ़ता निवेश भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के लिए बेहद ज़रुरी है।'
इसके आगे हालांकि चीन की मेनलैंड भारत का महत्वपूर्ण व्यवसायिक साझेदार है। राजनीतिक और ऐतिहासिक विवाद दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।'
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Source : News Nation Bureau