logo-image

Chinese Air Force: दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वायु सेना से थर्राया अमेरिका

चीन की वायु सेना और नौसेना H-6 बमवर्षक विमानों को भी ऑपरेट करती है. चीन के पास H-6 के कई वेरिएंट उपलब्ध हैं.

Updated on: 18 Dec 2021, 09:35 PM

highlights

  • चीन ने तैयार की दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वायु सेना 
  • चीन के जे-20 लड़ाकू विमान को माइटी ड्रैगन के नाम से जाना जाता है
  • चीन के पास एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरने वाला J-15 लड़ाकू विमान भी है

नई दिल्ली:

चीन अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति को लगातार बढ़ाने में लगा है. चीन ने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वायु सेना को तैयार कर लिया है. ऐसा माना जा रहा है कि चीन एशिया पर कब्जे की रणनीति में जुटा है. उसकी हवाई ताकत में पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के अलावा स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स और स्टील्थ ड्रोन भी शामिल हैं. इतना ही नहीं, दक्षिण चीन सागर में अमेरिका की बढ़ती उपस्थिति को देखते हुए ड्रैगन ने तो अपने लड़ाकू विमानों को एयरक्राफ्ट कैरियर किलर मिसाइलों से भी लैस कर दिया है. नवंबर में जारी चीन की सेना पर अमेरिकी रक्षा विभाग की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के पास अब इस क्षेत्र में सबसे बड़ी और दुनिया में तीसरे नंबर की हवाई ताकत है.

पेंटागन का अनुमान है कि चीन के पास वायु सेना और नौसेना को मिलाकर लगभग 2,800 विमान हैं, जिनमें ड्रोन और ट्रेनर विमान शामिल नहीं हैं. उनमें से लगभग 2,250 डेडिकेटेड कॉम्बेट एयरक्राफ्ट हैं, जिनमें 1,800 लड़ाकू विमान शामिल हैं. इनमें से लगभग 800 चौथी पीढ़ी के जेट माने जाते हैं.  

चीन के पास जो लड़ाकू विमान सबसे ज्यादा संख्या में मौजूद है वह जे-10 है. यह विमान इजरायल आईएआई लवी पर आधारित हो सकता है. माना जाता है कि लगभग 488 J-10 वेरिएंट चीनी वायु सेना और चीनी नौसेना की एविएशन विंग में शामिल हैं. 2005 में पेश किया गया J-10 डेल्टा विंग और कैनार्ड डिजाइन वाला सिंगल-इंजन मल्टीरोल फाइटर है. J-10 में 11 हार्डपॉइंट, एक एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्केन्ड एरे रडार और एक 23 एमएम की गन लगाई गई है. ऐसा माना जाता है कि यह मैक 2 की स्पीड से लगभग 60,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है.

यह भी पढ़ें: यूक्रेन तनाव पर बातचीत के लिए रूस ने रखीं ये मांगें, क्या टलेगा  3rd World War

चीन के पास एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरने वाला J-15 लड़ाकू विमान भी है. चीन ने यूक्रेन से खरीदे गए Su-33 के अधूरे प्रोटोटाइप से J-15 को डिजाइन किया, क्योंकि रूस अपने Su-33 को चीन को बेचने के लिए तैयार नहीं था. चीनी नौसेना में कम से कम 34 J-15 लड़ाकू विमान मौजूद हैं. 

चीन के जे-20 लड़ाकू विमान को माइटी ड्रैगन के नाम से जाना जाता है. यह लड़ाकू विमान आवाज से दोगुनी तेज रफ्तार से उड़ान भर सकता है. इसे चीन की चेंगदू एयरोस्पेस कॉर्पोरेशन ने बनाया है. इस विमान को ज्यादा ताकत प्रदान करने के लिए दो इंजन लगे हुए हैं. इसमें एक ही पायलट के बैठने की सीट होती है. चीन का दावा है कि इस लड़ाकू विमान को हर मौसम में उड़ाया जा सकता है. चीन तो यहां तक दावा करता है कि यह लड़ाकू विमान स्टील्थ तकनीकी से लैस है, जिसे कोई भी रडार नहीं पकड़ सकता है. आपको यह बता दें कि यह दुनिया का तीसरा ऑपरेशनल फाइटर जेट है. पहले के दो एफ-22 रेप्टर और एफ-35 अमेरिकी एयरफोर्स में तैनात हैं. J-20 की बेसिक रेंज 1,200 किलोमीटर है जिसे 2,700 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है. 

चीन की वायु सेना और नौसेना H-6 बमवर्षक विमानों को भी ऑपरेट करती है. चीन के पास H-6 के कई वेरिएंट उपलब्ध हैं. इसमें H-6N, H-6K, H-6G शामिल हैं. चीन के पास इस सीरीज के कम के कम 230 बमवर्षक हैं. H-6K में उन्नत इंजन हैं और यह छह स्टैंडऑफ लैंड-अटैक क्रूज मिसाइलों को ले जा सकता है. H-6G और H-6J नौसैनिक संस्करण हैं, जिनमें एंटी शिप क्रूज मिसाइलों को तैनात किया जा सकता है. इन सबसे में 2019 में पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया H-6N विशेष रूप से चिंताजनक है. इसे तेजी से चलने वाले ड्रोन विमान से लेकर एंटी शिप मिसाइलों को ले जाने के लिए बनाया गया है. यह विमान क्रूज मिसाइलें भी दागने में सक्षम है. यह चीन के बमवर्षक विमान H-6K का उन्‍नत संस्‍करण है जो खुद भी अत्‍याधुनिक है. H-6K सोवियत संघ के Tu-16 बमवर्षक विमान पर आधारित है. चीन ने अब अपने H-6N विमान के लिए हवा से दागे जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइलें बना रहा है.

चीनी वायु सेना की सबसे गौरवपूर्ण उपलब्धि इसकी पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट J-20 "माइटी ड्रैगन" है. J-20 संभवत यूएस स्टील्थ प्रोग्राम से चुराई गई जानकारियों पर आधारित है. इसे चीन की चेंगदू एयरोस्पेस कॉर्पोरेशन ने बनाया है. इस विमान को ज्यादा ताकत प्रदान करने के लिए दो इंजन लगे हुए हैं. इसमें एक ही पायलट के बैठने की सीट होती है. चीन तो यहां तक दावा करता है कि यह लड़ाकू विमान स्टील्थ तकनीकी से लैस है, जिसे कोई भी रडार नहीं पकड़ सकता है. 

चीन इस समय काफी तेजी से अपनी नौसेना के लिए युद्धपोत और पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है. चीन की 62 में से सात पनडुब्बियां परमाणु शक्ति से चलती हैं. ऐसे में पारंपरिक ईंधन के रूप में भी उसे अब ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ रहा है. चीन पहले से ही जहाज निर्माण की कला में पारंगत था. साल 2015 में चीनी नौसेना ने अपनी ताकत को अमेरिकी नौसेना के बराबर करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया था. पीएलए को विश्व-स्तरीय फाइटिंग फोर्स में बदलने के काम आज भी उसी तेजी से जारी है. 

जिनपिंग ने 2015 में शिपयार्ड और प्रौद्योगिकी में निवेश का आदेश दिया था. उन्होंने तब कहा था कि हमें एक शक्तिशाली नौसेना के निर्माण की जरुरत जो आज महसूस हो रही है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ था. जाहिर है कि सुप्रीम कमांडर का आदेश पाने के बाद से ही चीनी नौसेना ने पिछले 5-6 साल में अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा लिया है. 

जे-16डी लड़ाकू विमान को जे-16 को अपग्रेड कर तैयार किया गया है. यह एक ट्विन सीटर, ट्विन इंजन वाला हैवी फाइटर जेट है. चीन ने दावा किया है कि उसने इस लड़ाकू विमान को स्वदेशी तकनीक के आधार पर विकसित किया है. इस मल्टीरोल फाइटर जेट का इस्तेमाल हमलावर और रक्षात्मक दोनों तरह की भूमिकाओं में किया जा सकता है. यह लड़ाकू विमान चीनी वायु सेना में अभी तक कमीशन किए गए दूसरे विमानों की तुलना में अधिक अडवांस है. इसमें चीन के दूसरे लड़ाकू विमानों की तुलना में फायर कंट्रोल सिस्टम, रडार और ऑपरेशन सिस्टम्स को उन्नत किया गया है.