चीन का लक्ष्य भारत की ‘चुनौती’ को रोकना और भारत-अमेरिका संबंधों को ‘बाधित’ करना

अमेरिकी थिंक-टैंक ने कहा है कि चीन का 'तत्काल लक्ष्य’ दक्षिण एशिया (Soujth Asia) में भारत की हर प्रकार की ‘चुनौती’ को सीमित करना और अमेरिका (America) के साथ उसके तेजी से मजबूत होते संबंधों को बाधित करना है.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
PM Modi- Xi Jinping

मोदी और जिनपिंग के संबंधों में आई कड़वाहट.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

लद्दाख (Ladakh) में भारतीय क्षेत्र में चीनी घुसपैठ के बीच एक प्रभावशाली अमेरिकी थिंक-टैंक ने कहा है कि चीन का 'तत्काल लक्ष्य’ दक्षिण एशिया (South Asia) में भारत की हर प्रकार की ‘चुनौती’ को सीमित करना और अमेरिका (America) के साथ उसके तेजी से मजबूत होते संबंधों को बाधित करना है. ‘हडसन इंस्टीट्यूट’ की ‘कोरोना वायरस काल में अमेरिका और चीन (China) के बीच प्रतिद्वंद्विता का वैश्विक सर्वेक्षण’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की पाकिस्तान के साथ मजबूत साझीदारी और श्रीलंका के साथ मजबूत संबंध क्षेत्र में प्रभुत्व की चीन की योजनाओं के लिए अहम है.

Advertisment

यह भी पढ़ेंः सिर्फ सामान ही नहीं चाइनीज फूड बेचने वाले रेस्टोरेंट पर भी गिर सकती है गाज, जानें पूरा मामला

चीन के लिए दक्षिण एशिया अहम
इस सप्ताह जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि खाड़ी एवं पश्चिमी हिंद महासागर में अमेरिका की श्रेष्ठता को चुनौती देने के चीन के वृहद रणनीतिक लक्ष्य के लिए दक्षिण एशिया बहुत अहम है. रिपोर्ट में इस बात का अध्ययन किया गया है कि चीन दुनिया में 'राजनीतिक, रणनीतिक एवं आर्थिक लाभ के लिए वैश्विक महामारी का इस्तेमाल' करने की किस प्रकार कोशिश कर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में चीन का 'तत्काल लक्ष्य विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की हर प्रकार की चुनौती को सीमित करना और अमेरिका के साथ उसकी तेजी से मजबूत होती साझीदारी को बाधित करना है'.

यह भी पढ़ेंः 50 साल पहले देश की संसद में आया था 'आत्मनिर्भर भारत' बनने का ड्राफ्ट, लेकिन इंदिरा गांधी ने....

आक्रामक विस्तार में भारत है असल चुनौती
रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में चीन के लिए भारत असल चुनौती है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत परम्परागत रूप से चीन को अपने से उच्च समझने के बजाए समान समझता है और वह बीजिंग के लक्ष्यों को लेकर सचेत है एवं अपने क्षेत्र में चीन के घुसने की कोशिशों को संदेह से देखता है. चीन के साथ क्षेत्र को लेकर विवाद के कारण संबंधों में तनाव पैदा हुआ है. इससे सहयोगात्मक माहौल के बजाए प्रतिद्वंद्वी माहौल पैदा होता है.' रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि इसके लिए भारत को अमेरिका और जापान जैसे सहयोगियों की मदद की आवश्यकता है.

यह भी पढ़ेंः चीन की चोरी ऊपर से सीना-जोरी वाली नीति, भारतीय जवानों पर लगाया हमले का आरोप

भारत में ड्रैगन को रोकने का माद्दा
इसमें कहा गया है कि यदि अमेरिका चाहता है कि भारत क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता के तौर पर भूमिका निभाए और यदि वह चीन पर निर्भरता कम करना चाहता है, तो भारत की आर्थिक एवं सैन्य क्षमताएं विकसित करना अहम होगा. इस रिपोर्ट का दक्षिण एशिया संबंधी हिस्सा तैयार करने वाले विशेषज्ञों में भारतीय मूल की विद्वान डॉ. अपर्णा पांडे और अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी भी शामिल हैं. लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद चीन को कड़ा संदेश देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा था कि शहीद हुए भारतीय सैनिकों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे.

यह भी पढ़ेंः राम माधव ने साधा कांग्रेस पर निशाना, बोले- दुश्मनों को लाभ...

पीएम मोदी दे चुके हैं स्पष्ट संदेश
प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत शांति चाहता है लेकिन उकसाये जाने पर यथोचित जवाब देने में सक्षम है. भारत ने बुधवार को चीन को दिए गए कठोर संदेश में कहा कि गलवान घाटी में हुई अप्रत्याशित घटना का द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. साथ ही उसने यह भी कहा कि उस हिंसा के लिए चीन की 'पूर्व नियोजित' कार्रवाई सीधे तौर पर जिम्मेदार है, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए.

HIGHLIGHTS

  • चीन का 'तत्काल लक्ष्य’ दक्षिण एशिया (South Asia) में भारत की ‘चुनौती’ को सीमित करना.
  • भारत परम्परागत रूप से चीन को अपने से उच्च समझने के बजाए समान देश ही समझता है.
  • चीन दुनिया में 'राजनीतिक, रणनीतिक लाभ के लिए वैश्विक महामारी का इस्तेमाल' कर रहा.

Source : News Nation Bureau

INDIA Indo-China American Thinktank Indo-US Border Tensions china America PM Narendra Modi Xi Jinping
      
Advertisment