चीन में सार्स जैसे नए विषाणु की चपेट में आने से अब तक 17 लोगों की मौत हो गई है और देश में इसके करीब 571 मामले सामने आ चुके हैं. इसके कहर को देखते हुए वुहान में विमान सेवाओं सहित सभी सार्वजनिक परिवहन सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा विएना में बुधवार को हुई आपातकालीन बैठक गुरुवार को भी होगी. इसमें इस संक्रमण को अंतरराष्ट्रीय चिंता वाली जन स्वास्थ्य आपदा घोषित करने पर विचार किया जा रहा है, जैसा कि स्वाइन फ्लू और इबोला के समय किया था.
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डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम गेबेरियस ने कहा कि चीन इसे रोकने के लिए बेहद बड़े कदम उठा रहा है ताकि इस विषाणु को दुनियाभर में फैलने से रोका जा सके. चीन के वुहान में सभी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं पर रोक लगाने की घोषणा करने के बाद उनका यह बयान आया है. चीन के वुहान शहर में सार्स जैसे संक्रमण से जुड़े सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. एक करोड़ से अधिक की आबादी वाला वुहान एक प्रमुख परिवहन केंद्र है. चीनी नववर्ष की वार्षिक छुट्टियों (जो 24 जनवरी से शुरू हो रही हैं) के लिए बड़ी संख्या में लोगों के चीन पहुंचने का अनुमान हैं. ज्यातर लोग यहां से होकर अपने गंतव्य तक पहुंचेंगे.
शहर के अधिकारियों के अनुसार कोरोना वायरस के बढ़ते कहर के मद्देनजर वुहान में 23 जनवरी सुबह 10 बजे से ट्रेन स्टेशनों तथा हवाई अड्डों से यात्रा और बस तथा सबवे सेवाओं को निलंबित कर दिया है. स्थानीय लोगों से भी मास्क पहनने को कहा गया है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयुक्त उप मंत्री ली बिन ने बुधवार को यहां संवाददाताओं से कहा, 'इस विषाणु को वुहान से बाहर ना जाने देने के लिए हमें दृढ़ता एवं मजबूती से काम करना होगा. हम वुहान शहर और हुबेई प्रांत से इसे नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग करते हैं.'
चीन के स्वास्थ्य आयोग ने गुरुवार सुबह बताया कि अभी कोरोनावायरस के 571 मामलों की पुष्टि हो चुकी है और चीन में अभी तक इससे करीब 17 लोगों की जान गई है. इनमें अधिकतर मामले वुहान और उसके आसपास के इलाके के हैं.
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आयोग ने बताया कि शंघाई में इसके सात नए मामले सामने आए हैं. इस बीच, वुहान शहर में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र हालात पर बेचैनी के साथ नजर रखे हुए हैं जहां स्थानीय अधिकारियों ने बुधवार को लोगों से शहर में और शहर के बाहर यात्रा नहीं करने को कहा है. यहां करीब 700 भारतीय रहते हैं जिनमें अधिकतर छात्र हैं. भारत इस मामले में पहले ही यात्रा परामर्श जारी कर चुका है. अमेरिका, मकाउ, कोरिया, जापान और थाईलैंड में भी इसके मामले सामने आए हैं.