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झुट्ठा जिनपिंग... कब्जा नहीं करने की बात कह भूटान में बसा लिए 4 गांव

भूटान की सरजमीं पर इन गांवों के बन जाने से भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है. यह पूरा इलाका भारत के चिकन नेक कहे जाने वाले सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास स्थित है.

Updated on: 18 Nov 2021, 01:45 PM

highlights

  • डोकलाम सीमा विवाद पर मोदी सरकार ने अपनाया था कड़ा रुख
  • अब डोकलाम के पास ही चीन ने भूटान की जमीन पर बसाए गांव
  • चिकन नेक के पास होने से सामरिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण

थिंपू/बीजिंग:

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) भी अंततः झूठे ही निकले. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) से बातचीत में किसी भी देश की जमीन के इंच भर के टुकड़े पर कब्जा नहीं करने की बात की थी. यह अलग बात है कि ओपन सोर्स इंटेलिजेंस की ताजा सैटेलाइट इमेजों के बलबूते खुलासा किया है कि आक्रामक विस्तारवादी नीतियों के तहत ड्रैगन ने भूटान (Bhutan) की जमीन पर एक साथ 4 गांव बसा लिए हैं. चीन के इन गांवों की स्थिति डोकलाम के पास है, जहां सड़क निर्माण को लेकर भारत-चीन के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी. मोदी सरकार (Modi Government) के कड़े रुख के बाद चीन के पीएलए सैनिक पीछे हट गए थे. यह अलग बात है कि ड्रैगन ने डोकलाम में अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है. 

चिकन नेक के करीब बसाए गांव
सामरिक जानकारों के मुताबिक ये गांव डोकलाम के पास है जहां से भारत का 'चिकन नेक' गुजरता है. ओपन सोर्स की ताजा सैटेलाइट तस्‍वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने साल 2020-21 के बीच में डोकलाम के पास में ये गांव भूटान और चीन के बीच विवादित इलाके में बनाए गए हैं. बीजिंग प्रशासन की शह पर बसाए गए यह गांव 100 किलोमीटर के इलाके में फैले हुए हैं. कुछ रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी गांवों की संख्‍या 4 से ज्‍यादा है. बताते हैं कि चीन ने यहां पर बड़े पैमाने पर सैनिकों को भी तैनात किया है. 

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भारत की सुरक्षा के लिए खतरा
गौरतलब है कि भूटान के सुरक्षा की जिम्‍मेदारी भारत पर है. ऐसे  में चीनी गांव बनाने से कई तरह के सवाल सामरिक हलके में उठ रहे हैं. भारत ही भूटान को विदेशी मामलों पर सलाह देता रहा है और भूटानी सेना को प्रशिक्षण देता है. चीन लगातार भूटान पर लगातार दबाव डाल रहा है कि वह जमीनी सीमा पर फिर से चर्चा करे. जाहिर है भूटान की सरजमीं पर इन गांवों के बन जाने से भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है. यह पूरा इलाका भारत के चिकन नेक कहे जाने वाले सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास स्थित है.

चिकन नेक पर निगाह है ड्रैगन की
सामरिक लिहाज से चिकन नेक की खास रणनीतिक अहमियत है. इसकी भौगोलिक स्थिति, आर्थिक महत्व और अंतरराष्ट्रीय पहुंच इसे बेहद खास बनाती है. यही वजह है कि चीन की निगाह हमेशा से चिकन नेक पर रही हैं. पश्चिम बंगाल में स्थित गलियारा 60 किमी लंबा और 20 किमी चौड़ा है और उत्तर-पूर्व हिस्से को बाकी भारत से जोड़ता है. यह न केवल एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग है बल्कि दक्षिण पूर्व एशिया के लिए भी एक महत्वपूर्ण 'प्रवेश द्वार' है. यह क्षेत्र कई अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरा हुआ है जिसमें बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और चीन से घिरा हुआ है.

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एक्ट ईस्ट पॉलिसी में मददगार है कॉरिडोर
अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से चिकन नेक कॉरिडोर उत्तर-पूर्वी राज्यों और शेष भारत के व्यापार के लिए खासा अहम है. यहां एकमात्र रेलवे फ्रेट लाइन भी है. दार्जिलिंग की चाय और इमारती लकड़ी इसका महत्व और बढ़ा देती है. एलएससी के पास सड़क मार्ग और रेलवे सिलीगुड़ी कॉरिडोर से जुड़े हुए हैं. इस कॉरिडोर के जरिए ही उन्हें सभी जरूरी चीजों की आपूर्ति की जाती है. रिपोर्ट के अनुसार यह भारत और इसके पूर्वोतर राज्यों के साथ-साथ दक्षिण पूर्व एशिया में एशियान देशों के बीच संपर्क को सुगम बनाकर भारत को अपनी 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है.