चीनी मीडिया ने कहा, भारत-अफगानिस्तान हवाई गलियारा नई दिल्ली की अड़ियल सोच का परिचायक

भारत सीपीईसी का विरोध करता है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित गिलगित-बाल्टिस्तान से गुजरता है, जिसपर भारत अपना दावा करता है।

भारत सीपीईसी का विरोध करता है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित गिलगित-बाल्टिस्तान से गुजरता है, जिसपर भारत अपना दावा करता है।

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abhiranjan kumar
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चीनी मीडिया ने कहा, भारत-अफगानिस्तान हवाई गलियारा नई दिल्ली की अड़ियल सोच का परिचायक

चीन के एक समाचार पत्र ने कहा है कि अफगानिस्तान के साथ हवाई गलियारे में पाकिस्तान को नजरअंदाज करना और बीजिंग की संपर्क परियोजना का विरोध करना भारत की 'अड़ियल भूराजनीतिक सोच' का परिचायक है।

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समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक निबंध में सलाह देते हुए कहा है कि भारत को चीन के सदाबहार सहयोगी पाकिस्तान के साथ आर्थिक तथा व्यापारिक संबंध विकसित करने चाहिए, जहां बीजिंग अरबों डॉलर की लागत से आर्थिक गलियारे का निर्माण कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह भारत तथा अफगानिस्तान ने एक सीधे वाणिज्यिक हवाई मार्ग की शुरुआत की, जो पाकिस्तान से होकर नहीं गुजरता है। आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों पड़ोसी देशों के संबंध भारी तनाव के दौर से गुजर रहे हैं।

पाकिस्तान, भारत तथा अफगानिस्तान के बीच स्थित है और इस्लामाबाद दोनों देशों के बीच कारोबार होने नहीं देता है।

ग्लोबल टाइम्स के संवाददाता वांग जियामेई ने लेख में लिखा, 'भारत तथा अफगानिस्तान ने पिछले सप्ताह एक हवाई माल ढुलाई गलियारा की शुरुआत की है, जो एक समर्पित मार्ग है, जिसे दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है। इससे एक सवाल उठ खड़ा हुआ है : क्या भारत अफगानिस्तान के साथ व्यापार करने के लिए पाकिस्तान तथा अन्य मध्य एशियाई देशों को नजरअंदाज करेगा?'

उन्होंने लिखा, 'संपर्क का इस तरह का प्रयास न केवल क्षेत्रीय आर्थिक विकास में सक्रिय साझेदारी की भारत की इच्छा का संकेत देता है, बल्कि इसने उसके अड़ियल भूराजनीतिक सोच को भी उजागर किया है।'

लेख के मुताबिक, 'भारत हमेशा से ही बेल्ट एंड रोड परियोजना से अपने कदम पीछे खींचता रहा है और अपना संपर्क नेटवर्क तैयार करने का इसका इरादा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को खासकर पाकिस्तान को बराबर बल से संतुलित करने की एक रणनीति मालूम पड़ती है, जिसने भारत को अपने तनावग्रस्त संबंधों के चलते अपने क्षेत्र के माध्यम से किसी भी माल के परिवहन पर रोक लगा रखा है।'

भारत सीपीईसी का विरोध करता है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित गिलगित-बाल्टिस्तान से गुजरता है, जिसपर भारत अपना दावा करता है।

परियोजना पर संप्रभुता के उल्लंघन का हवाला देते हुए भारत ने बीजिंग में आयोजित दो दिवसीय बेल्ट एंड रोड शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया था।

एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से लेख में कहा गया है, 'भारत ने ईरान के चाबाहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए भी एक परियोजना की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य अफगानिस्तान तथा मध्य एशियाई देशों तक सीधा परिवहन मार्ग तैयार करना है।'

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उन्होंने लिखा, "इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस क्षेत्र में भूराजनीतिक मुद्दे जटिल हैं, लेकिन फिर भी भारत के लिए यह मुनासिब होगा कि वह पाकिस्तान के साथ आर्थिक व व्यापारिक संबंधों का विकास करे।"

लेख के मुताबिक, 'संपर्क के लिहाज से, नया मार्ग (बेल्ट एंड रोड) व्यापार तथा संबंधों को विकसित करने में मददगार साबित होगा, जो निश्चित तौर पर क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हवाई मार्ग (भारत द्वारा शुरू किया गया) व्यापार के लिए वाणिज्यिक तौर पर व्यवहार्य है?'

उन्होंने लिखा, 'यह मायने नहीं रखता कि भारत क्या सोच रहा है, उसे पाकिस्तान को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, जो बेहद सक्षम तथा लागत प्रभावी जमीनी मार्ग मुहैया कराता है। भारत तथा पाकिस्तान के सहयोग के बिना क्षेत्रीय संपर्क प्रभावी नहीं हो सकता है।'

लेख के मुताबिक, 'इस लिहाज से, बेल्ट एंड रोड ने भारत तथा पाकिस्तान के बीच सहयोग के लिए वास्तव में एक अवसर तथा मंच का निर्माण किया है और अब हम देखेंगे कि भारत मौके का फायदा उठाता है या नहीं।'

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Source : IANS

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