चीन ने दोहराई 4 साल पुरानी चालाकी, गुस्ताखी का भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा. नाम बदलने से सच्चाई नहीं बदलती. चीन ने 2017 में भी ऐसा ही कदम उठाया था. तब चीन ने 6 जगहों के नाम बदले थे.
highlights
- अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा- विदेश मंत्रालय
- 23 अक्टूबर 2021 को बीजिंग ने ‘लैंड बॉर्डर लॉ’ नाम के कानून को मंजूरी दी थी
- 1962 के युद्ध में चीन ने भारत के अक्साई चीन वाले हिस्से पर कब्जा कर लिया था
New Delhi:
पड़ोसी देश चीन ने एक बार चार साल पुरानी गुस्ताखी को दोहराने की कोशिश की है. अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे इलाके में 15 जगहों के नाम मनमाने तरीके से चीनी और तिब्बती भाषा में रख दिए हैं. चीन के इस हरकत का भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया है. इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है. नाम बदलने से सच्चाई नहीं बदलती. चीन ने 2017 में भी ऐसा ही कदम उठाया था. तब चीन ने 6 जगहों के नाम बदले थे. अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा.
दूसरी ओर चीन की सिविल अफेयर्स मिनिस्ट्री ने गुरुवार को इस फैसले को सही बताते हुए एक बयान जारी किया कि यह हमारी प्रभुत्ता और इतिहास के आधार पर उठाया गया कदम है. यह चीन का अधिकार है. दरअसल, चीन दक्षिणी तिब्बत को अपना क्षेत्र बताता रहा है और आरोप लगाता रहा है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया है. चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में छपी खबर के मुताबिक, गुरुवार को चीन की कैबिनेट (स्टेट काउंसिल) ने 15 नाम बदले जाने को मंजूरी दे दी. यह सभी इलाके जेंगनेन (चीन के दक्षिण राज्य शिजियांग का हिस्सा या स्वायत्त तिब्बत क्षेत्र ) में आते हैं. इनमें से 8 रिहायशी, चार पहाड़ी क्षेत्र, दो नदियां और एक माउंटेन पास या पहाड़ी दर्रा है.
पहले दलाई लामा का विरोध फिर बनाया कानून
ग्लोबल टाइम्स में तिब्बत मामलों के चीनी एक्सपर्ट लियान शियांगमिन के हवाले से कहा गया है कि चीन में सैकड़ों साल से यह जगहें मौजूद हैं. इनके नाम अब सही किए गए हैं. इसके जरिए ज्यादा बेहतर तरीके से सीमाओं की रक्षा की जा सकेगी. इससे लगभग दो महीने पहले 23 अक्टूबर 2021 को बीजिंग ने ‘लैंड बॉर्डर लॉ’ नाम के कानून को मंजूरी दी थी. इसके बाद से ही आशंका जताई जा रही थी कि चीन इस तरह की कोई घटिया हरकत कर सकता है. इससे पहले अप्रैल 2017 में अरुणाचल प्रदेश में तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के दौरे से नाराज चीन ने कहा था कि उनकी गतिविधियां चीन से किए गए भारत के वादे के खिलाफ हैं.
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अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चीन पर भी विवाद
भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) को लेकर विवाद होता रहता है. अरुणाचल प्रदेश की 1126 किलोमीटर लंबी सीमा चीन के साथ और 520 किलोमीटर लंबी सीमा के साथ मिलती है. 1962 के युद्ध में चीन ने अक्साई चीन वाले हिस्से पर कब्जा कर लिया था. चीन अरुणाचल प्रदेश वाले हिस्से को भी विवादित मानता है. उसे स्वायत्त तिब्बत क्षेत्र का हिस्सा बताता रहता है. हालांकि चीन के महज नाम बदलने से अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास के इलाके में कोई खास असर नहीं पड़ सकता है. इसके लिए चीन को संयुक्त राष्ट्र के पास जाना होगा.
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