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भारत के पड़ोसी देश को युद्धपोत देकर चीन ने फिर चली घेरने की चाल

भारत को घेरने और हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए चीन ने श्रीलंका को एक युद्धपोत तोहफे में देकर उसे लुभाने की कोशिश की है.

Updated on: 17 Jul 2019, 01:34 PM

highlights

  • चीन ने श्रीलंका को एक युद्धपोत तोहफे में देकर उसे लुभाने की कोशिश की है.
  • भारत ने भी श्रीलंका को 2006 और 2008 में 2 गश्ती पोत दिए थे.
  • चीन लगातार हिंद महासागर में नौसेना की मौजूदगी बढ़ा रहा है.

नई दिल्ली.:

भारत को घेरने और हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए चीन ने श्रीलंका को एक युद्धपोत तोहफे में देकर उसे लुभाने की कोशिश की है. पिछले कुछ वर्षों से चीन सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस द्वीपीय देश के साथ सैन्य संबंधों को मजबूत कर रहा है. चीन द्वारा दिया गया युद्धपोत 'पी 625' पिछले हफ्ते कोलंबो पहुंच गया. यही नहीं, रेल के डिब्बे और इंजन बनाने वाली चीन की कंपनी ने घोषणा की है कि वह जल्द ही श्रीलंका को नए तरह की 9 डीजल ट्रेन भी देगी.

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भारत भी नहीं है पीछे
श्रीलंका की नौसेना ने लिट्टे के खिलाफ संघर्ष में अहम भूमिका निभाई थी. उसके पास करीब 50 लड़ाकू, सपॉर्ट शिप और तटीय इलाकों की निगरानी के लिए गश्ती प्लेन हैं जो मुख्य रूप से भारत, अमेरिका, चीन और इजरायल से मिले हैं. भारत ने पिछले साल ही अपने इस अहम पड़ोसी की नौसेना को एक गश्ती जहाज दिया था. इससे पहले भी भारत ने 2006 और 2008 में 2 गश्ती पोत दिए थे.

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श्रीलंका-चीन संबंध नई ऊंचाई पर
शिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका की नेवी के कमांडर वाइस ऐडमिरल पियल डीसिल्वा ने युद्धपोत के लिए चीन को धन्यवाद दिया है. उन्होंने कहा कि उनकी सेनाएं इस तोहफे को दोनों देशों के बीच अच्छी मित्रता के संकेत के तौर पर लेंगी.

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समुद्री सीमा पर गश्त करेगा पी 625
उन्होंने कहा कि श्रीलंका इस समय समुद्री चुनौतियों का सामना कर रहा है. नेवी कमांडर ने कहा कि ड्रग तस्करी समेत अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देकर संदिग्ध भाग जाते हैं. अब इस युद्धपोत के मिलने से नेवी की सर्विलांस क्षमता में काफी इजाफा होगा. रिपोर्ट में बताया गया है कि श्रीलंका की नेवी के नए मेंबर के तौर पर 'पी 625' युद्धपोत का इस्तेमाल मुख्यतौर पर गश्त, पर्यावरण संबंधी निगरानी और समुद्री लुटेरों के खिलाफ किया जाएगा.

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चीन की विस्तारवादी नीति का है परिणाम
गौरतलब है कि श्रीलंका पर भारी-भरकम कर्ज थोपने के बाद चीन ने 2017 में उसके हंबनटोटा पोर्ट का अधिग्रहण कर लिया था. उसके बाद से ही उसकी नजर इस क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने पर है. वह लगातार हिंद महासागर में नौसेना की मौजूदगी बढ़ा रहा है. उसने जिबूती में एक बेस भी तैयार कर लिया है, जिसे वह फिलहाल एक लॉजिस्टिक्स बेस बता रहा है.