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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ शी जिनपिंग (फाइल फोटो)
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ शी जिनपिंग (फाइल फोटो)
चीन ने सोमवार को अमेरिका से कहा कि पाकिस्तान पर अंगुली उठाने से आतंकवाद से लड़ने में मदद नहीं मिलेगी।
अमेरिका ने सुझाव दिया था कि चीन, पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने के लिए राजी करे। इस पर चीन ने अपने हर मौसम और अवसर के साथी का बचाव करते हुए दो टूक कहा कि इस्लामाबाद को आतंकवाद के साथ जोड़ना 'हितकर' नहीं होगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने कहा, 'हमने कई बार कहा है कि पाकिस्तान ने वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ कई महत्वपूर्ण त्याग और योगदान दिया है और देशों को एक दूसरे पर अंगुली उठाने के बजाए समान हितों के आधार पर आतंक रोधी सहयोग को मजबूती देनी चाहिए।'
लु ने मीडिया से कहा, 'यह वैश्विक आतंकरोधी प्रयासों के लिए हितकारी नहीं है।'
पिछले सप्ताह एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा था कि चीन, पाकिस्तान में आतंकियों के सुरक्षित आश्रयों को उखाड़ फेंकने में मददगार साबित हो सकता है।
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लु ने कहा, 'चीन हमेशा से किसी देश विशेष को आतंकवाद से जोड़ने का विरोध करता रहा है और हम किसी एक देश पर आतंकरोधी गतिविधियों की जिम्मेदारी नहीं थोप सकते।'
उन्होंने कहा, 'वास्तव में, चीन उन देशों का बचाव करता है जो आतंकरोधी प्रयासों का सही तरीके से निर्वहन करते हैं। चीन आपसी विश्वास और सम्मान के आधार पर आतंकवाद के मामले पर सभी वैश्विक संयुक्त प्रयासों का भी स्वागत करता है।'
चीन ने आतंकवाद के मुद्दे पर अपने 'मजबूत भाई' पाकिस्तान का बचाव किया। बीजिंग का कहना रहा है कि इस्लामाबाद ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बहुत बलिदान दिया है और शानदार काम किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के सभी सहायता को रोके जाने वाले ट्वीट के बाद चीन ने पाकिस्तान के बचाव में कूदने में देर नहीं की।
ट्रंप ने ट्वीट में कहा था कि उनका प्रशासन पाकिस्तान को दी जाने वाली सभी सहायता पर रोक लगा रहा है क्योंकि उसने धन का इस्तेमाल आतंकवाद को खत्म करने के लिए नहीं किया।
ट्रंप की घोषणा के कुछ दिन बाद वाशिंगटन ने इस्लामाबाद को दी जानी वाली सुरक्षा मदद रद्द कर दी।
चीन ने पाकिस्तान में भारी मात्रा में निवेश किया हुआ है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में पचास अरब डालर का चीन ने निवेश किया हुआ है।
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Source : News Nation Bureau