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नेपाल के हुमला जिले में चीन कर रहा अतिक्रमण, सर्वे में सामने आया सच 

नेपाल के गृह मंत्रालय द्वारा करे गए एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया है कि चीन नेपाल के सीमावर्ती हुमला ज़िले में सीमाओं का अतिक्रमण कर रहा है.

Updated on: 25 Oct 2021, 02:07 PM

highlights

  • हुमला में अंतराष्ट्रीय सीमा पर पिलर नंबर 4 से 13 के बीच चीन ने काफी हेरफेर किया है
  • ग्राउंड सर्वे किया और उसकी रिपोर्ट नेपाल के गृह मंत्री बल कृष्णा खंड को सौंपी गई है
  • नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जीवन बहादुर शाही ने सबसे पहले सीमा पर अतिक्रमण का मुद्दा उठाया था

नई दिल्ली:

नेपाल के गृह मंत्रालय द्वारा करे गए एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया है कि चीन नेपाल के सीमावर्ती हुमला ज़िले में सीमाओं का अतिक्रमण कर रहा है. सीमा पर गड़बड़ियों के बारे में मिलीं खबरों के बाद उक्त सीमा पर विवाद को सुलझाने के लिए गृह मंत्रालय ने एक समिति का गठन किया था. समिति ने उस इलाके में जाकर ग्राउंड सर्वे किया और उसकी रिपोर्ट नेपाल के गृह मंत्री बल कृष्णा खंड को सौंपी गई है. इस समिति के मुखिया और गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव  जय नारायण आचार्य ने पाया है की हुमला में अंतराष्ट्रीय सीमा पर पिलर नंबर 4 से 13 के बीच चीन ने काफी हेरफेर किया है.  विशेषज्ञ समिति ने सुझाव दिया है की इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए यह आवश्यक है कि सीमा विवाद को नेपाल अपनी राष्ट्र नीति में उच्च प्राथमिकता दे. 
 
गौरतलब है कर्णाली से सांसद और नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जीवन बहादुर शाही ने सबसे पहले सीमा पर अतिक्रमण का मुद्दा उठाया था. उनका कहना था कि चीन ने नेपाली सीमा क्षेत्र में स्थायी निर्माण कर लिया है और नेपाल की ज़मीन पर कब्ज़ा कर रहा है. न्यूज़ नेशन ने इस मसले को जोर शोर से उठाया था और इस मसले पर विशेष कार्यक्रम किया था.

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द्विपक्षीय मसलों के निष्पादन के लिए एक स्थायी तंत्र बनना चाहिए


आचार्य नीत समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ऐसी संवेदनशील और द्विपक्षीय मसलों के निष्पादन के लिए एक स्थायी तंत्र बनना चाहिए लेकिन इस बाबत कोई प्रयास नहीं किए गए हैं.  रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 1963 के बॉर्डर प्रोटोकॉल के मुताबिक पिलर संख्या 5 (2) से लेकर किट खोला के बीच तक का इलाका तकनीकी तौर पर नेपाल और चीन की सीमा है , इसका मतलब ये हुआ नियम के मुताबिक वह क्षेत्र नेपाल का हिस्सा है जबकि विशेषज्ञों ने पाया है कि उस क्षेत्र पर चीन गैर कानूनी तौर पर अपना दावा कर रहा है.

समिति की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन की सेना ने नेपाली क्षेत्र में तारबंदी कर दी है और फेंसिंग भी कर दी है और नेपाल की सीमा के १४५ मीटर अंदर एक स्थायी नहर भी बनाना चाह रही है , साथ वो उस इलाके में सड़क भी बनाना चाहती है. हालाँकि  नेपाल की सशस्त्र सेना के विरोध के बाद चीन ने वहां किये निर्माण को तो हटा दिया है लेकिन वहां मलबे साफ़ देखे जा सकते हैं.

तारबंदी और फेंसिंग कर दी है

मीडिया रिपोर्ट के माने तो चीनी सेना तकनीकी तौर पर नेपाल की सीमा में स्थित पिलर संख्या 6 (1) के आसपास के क्षेत्र में भी तारबंदी और फेंसिंग कर दी है और साथ ही पिलर संख्या 6(1) और पिलर संख्या 5 (2) के बीच के क्षेत्र पर भी अपनी उपस्तिथि दर्ज करने की कोशिश  कर रहा है. विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट  में कहा है जांच के दौरान पिलर संख्या 7(2) भी नहीं मिला. सीमा प्रोटोकॉल का खुल्लमखुल्ला उल्लघन करते हुए चीन की सेना ने पिलर संख्या 10 के आस पास के इलाके में भी फेंसिंग कर रखी है. चीन पर ये भी आरोप लगा है कि नेपाली सीमा क्षेत्र के पिलर संख्या 5(2) और 4 के बीच भी नेपाली नागरिकों को पशुओं को चराने से रोक रहा है. नेपाल में व्यापक विकास का सपना दिखने वाला चीन दरअसल में अपनी विस्तारवादी नीतियों से बाज़ नहीं आ रहा है और नेपाल जैसे छोटे देश की ज़मीन को हथियाने से गुरेज़ नहीं कर रहा है और अब नेपाल की नई सरकार लगता है उसके झांसे में नहीं आएगी।