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China की नापाक चाल.... पाकिस्तान में बना रहा Corona का नया स्ट्रेन

गौरतलब है कि चीन में मार्च के बाद से ओमीक्रॉन संक्रमण के नए मामले तेजी से बढ़े हैं. इसके चलते 45 शहरों में कड़ा लॉकडाउन लगाया गया है.

Updated on: 15 Apr 2022, 08:51 AM

highlights

  • चीन पाकिस्तान सेना को कोरोना का नया स्ट्रेन बनाने में कर रहा मदद
  • ऑस्ट्रेलिया के न्यूज पोर्टल ने अपनी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा किया
  • शंघाई कोरोना संक्रमण की नई लहर से रहा है जूझ, लॉकडाउन जारी

नई दिल्ली:

अभी तक कोरोना वायरस (Corona Epidemic) की उत्पत्ति को लेकर चीन शक के दायरे से बाहर नहीं हो सका है. अब ऑस्ट्रेलियाई पोर्टल द क्लेसॉन में एंथनी क्लेन की रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. इसके मुताबिक चीन (China) पाकिस्तानी सेना के साथ नया कोरोना वायरस बना रहा है. इस रिपोर्ट के अनुसार चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के निर्देश पर पाकिस्तान (Pakistan) में ये घातक जैविक हथियार बनाए जा रहे हैं. बताते हैं कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और पाकिस्तान सेना के अधीन डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑर्गेनाइजेशन कोरोना का नया स्ट्रेन बना रही है. पाकिस्तान की जिस लैब में ये नया कोरोना स्ट्रेन विकसित किया जा रहा है उसका दर्जा बायो सेफ्टी लेवल-4 है यानी इस लैब में घातक स्ट्रेन बनाए जा सकते हैं.

वैश्विक बिरादरी से अपील
सिंगापुर यूनिवर्सिटी के डॉ. रयान क्लॉर्क के मुताबिक चीन और पाकिस्तान के इस जैविक हथियार कार्यक्रम पर यदि वैश्विक बिरादरी ने जल्द रोक नहीं लगाई तो यहां से कोरोना से कई गुना घातक वायरस स्ट्रेन दुनिया के लिए बेहद घातक साबित होंगा. गौरतलब है कि चीन में मार्च के बाद से ओमीक्रॉन संक्रमण के नए मामले तेजी से बढ़े हैं. इसके चलते 45 शहरों में कड़ा लॉकडाउन लगाया गया है. लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना और जेल भेजने का प्रावधान है. शंघाई में पिछले एक महीने से 2.6 करोड़ लोग लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में कैद हैं.

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माओ को प्रेरणा मान रहे हैं शी जिनपिंग
चीन का इतिहास भी गवाह है कि वहां सख्ती से लोगों को दबाया जाता है. 1953 में माओ ने अकाल के लिए गौरेया को दोषी माना था. उस वक्त जीरो स्पैरो पॉलिसी जारी की गई थी. इसी के मद्देनजर अब राष्ट्रपति जिनपिंग ने जीरो कोविड पॉलिसी लागू की है. चीनी अफसर पालतू जानवरों को मार रहे हैं. चीन की जीरो कोविड नीति के तहत कोरोना के मरीज को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है, लेकिन शंघाई शहर के ही 50 से अधिक अस्थायी अस्पतालों में दवाएं नहीं हैं, साथ ही मेडिकल कर्मियों के पास पीपीई किट और मास्क नहीं हैं.