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अफगानिस्तान में चीन बढ़ा रहा पैठ, कई क्षेत्रों में कर रहा निवेश

चीनी कंपनियों ने अफगानिस्तान के खनन क्षेत्र और बुनियादी ढांचे में निवेश किया है

Updated on: 10 Jul 2021, 02:04 PM

highlights

  • अमेरिका और ब्रिटेन के सैनिक कर रहे अफगानिस्तान से वापसी
  • ऐसे में चीन वहां भारी निवेश कर देख रहा भारत को घेरने के ख्वाब

काबुल:

अमेरिका ने अफगानिस्तान (Afghanistan) से अपने सैनिकों की वापसी के लिए सितंबर तक मियाद तय की है. इसके साथ ही ब्रिटेन भी अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है. इस बीच तालिबान ने एक बड़े इलाके पर कब्जे का दावा किया है. जाहिर है इसे लेकर काबुल में सुरक्षा की स्थिति को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. इस बीच खबर है कि वहां चीन (China) अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. चीन की सरकारी मीडिया के मुताबिक चीन ने वहां कई क्षेत्रों में भारी निवेश किया हुआ है. उसकी सुरक्षा के लिए वह बड़े पैमाने पर पाकिस्तान के जरिए अफगानिस्तान में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है. 

चीन का डर!
अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच चीन इन दिनों यहां अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश में लगा है. चीनी कंपनियों ने अफगानिस्तान के खनन क्षेत्र और बुनियादी ढांचे में निवेश किया है, लेकिन तालिबान के व्यापक रूप से क्षेत्र पर कब्जा करने के बाद इन संपतियों पर खतरा मंडरा रहा है और काबुल पर भी खतरा बढ़ गया है. द न्यू यॉर्क पोस्ट के मुताबिक हाल के हफ्तों में बीजिंग ने वहां हालात बिगड़ने को लेकर अमेरिका की आलोचना की है.

चीन का अफगानिस्तान में निवेश
कहा जा रहा है कि काबुल के अधिकारियों की चीनी नेताओं के साथ नजदीकियां बढ़ रही हैं. चीन अंतरराष्ट्रीय 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' के तहत अफगानिस्तान के बुनियादी ढांचे में निवेश करने के लिए डील करने वाला है. इसके तहत कई परियोजनाओं में वो पैसा लगाने वाला है. आमतौर चीन गरीब देशों को इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने के लिए सस्ते दरों पर लोन देता है. खबरों के मुताबिक ये डील चीन-पाकिस्तान इकॉनिमक कॉरिडोर से भी बड़ा हो सकता है. ये प्रोजेक्ट 62 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है.

तालिबान की धमकी
युद्ध से जर्जर अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की रवानगी और देश के अधिकतर क्षेत्रों पर तेजी से बढ़ते तालिबान के नियंत्रण के बीच चरमपंथी समूह ने शुक्रवार को दावा किया कि देश के 85 प्रतिशत हिस्से पर अब उसका कब्जा है. तालिबान ने साथ ही कहा है कि वह 'किसी भी व्यक्ति, संगठन और किसी अन्य को अफगानिस्तान की धरती का उपयोग पड़ोसी देशों, क्षेत्रीय देशों और अमेरिका और उसके सहयोगियों सहित दुनिया के देशों के खिलाफ नहीं होने देगा’.