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चीन ने भारत में 8 अरब से अधिक अमेरिकी डॉलर का निवेश किया

भारत के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने 18 अप्रैल को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में संशोधन किया

Updated on: 21 Apr 2020, 08:22 AM

नई दिल्ली:

चीन ने भारत में 8 अरब से अधिक अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है. इस नीति से चीनी निवेशकों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा. चीन के निवेश से भारत का मोबाइल फोन, बुनियादी संस्थापनों का निर्माण आदि व्यवसायों का विकास बढ़ा है और भारत में रोजगार के व्यापक मौके बढ़े हैं, जो आपसी लाभ वाला सहयोग है.

भारत के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने 18 अप्रैल को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में संशोधन किया. इसके अनुसार चीन समेत भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले विदेशी निवेश के लिये सरकारी मंजूरी लेना जरूरी हो गया है.अब विदेशी उद्यमों के लिए भारत में पूंजी लगाने में काफी हद तक मुश्किलें बढ़ जाएंगी.

उद्यम कहां निवेश करता है, यह देश की अर्थव्यवस्था और व्यापारिक वातावरण पर निर्भर करता है. महामारी से आर्थिक मंदी आने की स्थिति में विभिन्न देशों को एकजुट होकर निवेश का बेहतर वातावरण तैयार करने के साथ-साथ उद्यमों के उत्पादन और व्यापार को शीघ्र ही बहाल करना चाहिए.

वहीं दूसरी तरफ विशेषज्ञों ने भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में ताजा संशोधन पर चीन की आपत्तियों को खारिज किया है. उनका कहना है कि इस समय जो आर्थिक संकट है उसमें अपने उद्योगों को बचाना देश के अधिकार क्षेत्र में आता है और भारत ने डब्ल्यूटीओ का कोई उल्लंघन नहीं किया है. इसस पहले भारत में चीन के दूतावास के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि नए नियम डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) के सिद्धांतों और मुक्त व्यापार के सामान्य चलन के विरुद्ध हैं.

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्राचार्य विश्वजित धर ने कहा, ‘ डब्ल्यूटीओ में एफडीआई को लेकर कोई समझौता हुआ ही नहीं है. इस संगठन के नियम निवेश संबंधी मुद्दों पर लागू नहीं होते. इस लिए भारत अपने उद्योगों के हित में ऐसे निर्णय करने का पूरा अधिकार रखता है.’ उन्होंने कहा कि निवेशकों के बारे में डब्ल्यूटीओं में जो भी प्रावधान हैं निर्यात और आयात से जुड़े हैं.