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नए मोड़ पर पहुंचे चीन-भारत संबंधों को नए अवसर मिल रहे हैं: शी ने कोविंद से कहा

भारत एक अप्रैल, 1950 को पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करने वाला एशिया का पहला गैर-कम्युनिस्ट देश बना था.

Updated on: 02 Apr 2020, 03:30 AM

बीजिंग:

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपने भारतीय समकक्ष रामनाथ कोविंद के साथ भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों की स्थापाना की 70वीं वर्षगांठ पर बधाई संदेश का आदान-प्रदान करते हुए बुधवार को कहा, चीन-भारत संबंध एक नए मोड़ पर खड़े हैं और संबंधों को और आगे बढ़ाने के लिए नए-नए अवसर मिल रहे हैं. भारत एक अप्रैल, 1950 को पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करने वाला एशिया का पहला गैर-कम्युनिस्ट देश बना था. कोविंद को भेजे अपने संदेश में, शी ने कहा कि चीन-भारत संबंधों ने पिछले 70 वर्षों के दौरान असाधारण विकास किया है.

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के संयुक्त प्रयासों से, दोनों देशों ने शांति और समृद्धि के लिए एक रणनीतिक और आपसी सहयोगात्मक साझेदारी स्थापित की है, और विकास की और अधिक गहरी साझेदारी बनाने का प्रयास कर रहे हैं. शी ने कहा, दोनों पक्षों को विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से बढ़ते द्विपक्षीय आदान-प्रदान और सहयोग का लाभ मिल रहा है और दोनों देशों ने महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर आपसी तालमेल में लगातार सुधार किया है.

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इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को पत्र लिखकर दोनों देशों के मजबूत संबंधों को रेखांकित किया. विदेश मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को लिखे पत्र में चीन की सरकार और वहां के लोगों के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त की. कोविंद ने कहा कि दोनों देशों ने पिछले कुछ वर्षो में राजनीतिक, आर्थिक क्षेत्र और लोगों से लोगों के बीच संबंधों सहित द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने में काफी प्रगति हासिल की है.

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विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने भी भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग को संदेश भेजा. उन्होंने भारत और चीन के बीच अच्छे संबंधों को दोनों देशों, क्षेत्र एवं दुनिया की शांति एवं समृद्धि के लिय महत्वपूर्ण बताया और कहा कि कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये सही अर्थो में वैश्विक प्रतिक्रिया को अपनाने की आवश्यकता है.