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China Economy: अब भगवान भरोसे नास्तिक चीन की अर्थव्यवस्था! गरीबी-बेरोजगारी से कैसे निपटेंगे शी जिनपिंग?

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी चीन का बुरा दौर शुरू हो गया है. कोविड महामारी के करीब 3 साल बाद चीन की इकॉनमी औंधे मुंह गिर चुकी है. इस परिस्थिति ने चीन के युवाओं को निराश किया है. न रोजगार है- न ही कमाई का कोई अन्य जरिया...

Updated on: 10 Jun 2023, 12:36 PM

highlights

  • चीन में चरम पर पहुंची बेरोजगारी 
  • बदहाली के दौर में भगवान भरोसे युवा
  • चीन का निर्यात निम्न स्तर पर पहुंचा

नई दिल्ली:

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी चीन का बुरा दौर शुरू हो गया है. कोविड महामारी के करीब 3 साल बाद चीन की इकॉनमी औंधे मुंह गिर चुकी है. इस परिस्थिति ने चीन के युवाओं को निराश किया है. न रोजगार है- न ही कमाई का कोई अन्य जरिया. हालिया आकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में घटती डिमांड के कारण, बीते मई महीने में चीन का निर्यात काफी निम्न स्तर पर जा पहुंचा हैं. खबरों के मुताबिक चीन के एक्सपोर्ट में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. साथ ही मई महीने में फैक्ट्री एक्टिविटी में भी गिरावट के चलते बेरोजगारी अपने चरम पर जा पहुंची है. लिहाजा चीन के हालात आश्चर्यजनक है. 

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, अनिश्चितता के इस दौर में कम्युनिस्ट देश चीन में कुछ अलग तरह के नजारे पेश हो रहे हैं. दरअसल लगातार गिरती देश की इकॉनमी से आम जनता खौफ में है, जिस वजह से युवा अब मंदिरों की ओर रुख कर रहे हैं, ताकि बदहाली के इस दौर में खुद के लिए प्राथना कर सकें. युवा- नौकरी, अच्छे स्कूलों में एडिमिशन और रातोंरात अमीर बनने के लिए मंदिरों में प्रार्थना कर रहे हैं. ये मंजर अनोखा इसलिए भी है, क्योंकि कम्युनिस्ट देश चीन में आमतौर पर इस तरह की तस्वीरें देखने को नहीं मिलती. 

आधिकारिक आंकड़ों पर अगर गौर किया जाए, तो अप्रैल महीन में 20.4% बेरोजगारी 16 से 24 साल के युवाओं की हैं. इसके अतिरिक्त इन गर्मियों में एक करोड़ से अधिक स्टूडेंट जॉब सेक्टर में प्रवेश करेंगे, जिससे वरतमान स्थिति का खराब होना लगभग तय है. 

गौरतलब है कि चीन आधिकारिक रूप से नास्तिक देश है, लिहाजा यहां युवाओं का बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचना पूरी दुनिया के लिए हैरान करने वाला है. हालांकि ये भी जान लें कि नास्तिक देश चीन पांच तरह के मतों को मान्यता देता है, जिसमें चीन की संस्कृति में अहम हिस्सा रखने वाले बौद्ध और ताओ के अलावा प्रोटेस्टेंट, कैथोलिक और इस्लाम भी शामिल है.