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भारत की आपत्ति, चीन ने राजदूत के बयान से किया किनारा

भारत में चीन के राजदूत की तरफ से की गई टिप्पणी से चीन ने दूरी बना ली है। चीनी राजदूत ने हाल ही में पाकिस्तान-भारत और चीन के बीच त्रिपक्षीय सहयोग व विश्वास बढ़ाने और वार्ता करने का विचार सामने रखा था।

Updated on: 20 Jun 2018, 09:05 PM

नई दिल्ली:

भारत में चीन के राजदूत की तरफ से की गई टिप्पणी से चीन ने दूरी बना ली है। चीनी राजदूत ने हाल ही में पाकिस्तान-भारत और चीन के बीच त्रिपक्षीय सहयोग व विश्वास बढ़ाने और वार्ता करने का विचार सामने रखा था।

भारत में चीन के राजदूत लु झाओहुई ने साथ ही यह भी कहा था कि एससीओ के तहत चीन भारत और पाकिस्तान के बीच विवादों को सुलझाने में मदद भी कर सकता है।

चीनी राजदूत के इस बयान पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि पाकिस्तान के साथ भारत के विवादव में किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्था स्वीकार्य नहीं है।

भारत की इस कड़ी प्रतिक्रिया के बाद चीन ने सधी हुई टिप्पणी करते हुए कहा है कि आपसी विश्वास बढ़ाने और संबंधों को सुधारने के लिए भारत और पाकिस्तान को आपस में संवाद करना चाहिए।

चीनी विदेश मंत्रालय से जब अपने राजदूत के बयान पर प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही चीन के अच्छे मित्र हैं।

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, 'हम अपने सभी पड़ोसियों के साथ संबंध को बेहतर रखना चाहते हैं चाहे वो पाकिस्तान हो या फिर भारत ताकि इस क्षेत्र के विकास और स्थिरता के लिये बेहतर सहयोग किया जा सके।'

उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि भारत और पाकिस्तान द्विपक्षीय बातचीत के जरिये आपसी विश्वास को बढ़ा सकते हैं। ये इस क्षेत्र के दूसरे देशों के हित में होगा।'

जब उनसे ये पूछा गया कि क्या वो लुओ के बयान से दूरी बना रहे हैं तो उन्होंने कहा, 'जो मैंने कहा है वो चीन का आधिकारिक रुख है।'

जब पूछा गया कि क्या चीनी दूतावास अपनी वेबसाइट पर मौजूद राजदूत के बयान को हटाएगा, इस सवाल का उन्होंने जवाब नहीं दिया।

हाल ही में चीन के राजदूत ने कहा था कि भारत और चीन अब डोकलाम जैसा दूसरा विवाद बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। लु ने सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए चीन के साथ संयुक्त प्रयास किए जाने का भी आग्रह किया।

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उन्होंने साथ ही कहा कि सीमा पर चर्चा विशेष प्रतिनिधियों की चीन में होने वाली बैठक में भी उठाया जाएगा। साथ ही जोर देते हुए कहा था कि सीमा विवाद के हल को पारस्परिक स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने की जरूरत है।

लुओ के बयान पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था, 'इस मामले में चीनी राजदूत के बयान को मैंने रिपोर्टों में देखा है। हमें चीन की सरकार की ओर से ऐसा सुझाव नहीं मिला है। हम इस तरह के विचार को राजदूत का निजी विचार मानते हैं।' 

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