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चीन जब अपने सैनिकों का नहीं हुआ, तो पड़ोसी देशों का सगा कैसे होगा

दो दिन पहले ही एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दिखाया गया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के परिवार इस बात से नाराज हैं कि भारतीय सैनिकों के विपरीत, उनके शहीदों को कोई सम्मान नहीं मिला.

Updated on: 26 Jun 2020, 08:28 AM

highlights

  • चीन ने अब तक सार्वजनिक नहीं की है मारे गए चीनी सैनिकों की संख्या.
  • सैनिकों के परिवारों के विरोध से जुड़ा वीडियो वायरल होने पर की लीपापोती.
  • ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने मारे गए सैनिकों के परिजनों को दी दिलासा.

बीजिंग:

चीन (china) की फितरत में ही धोखा है. वह न सिर्फ अपने पड़ोसी देशों के साथ विश्वासघात करता आया है, बल्कि अपने नागरिकों के साथ भी मक्कारी और फरेब के साथ काम लेता है. ताजा उदाहरण लद्दाख (Ladakh) की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों का है. गौरतलब है कि भारतीय पक्ष ने तो अपने हताहत सैनिकों की संख्या और नाम स्पष्ट कर दिए थे, लेकिन बीजिंग प्रशासन ने ऐसा नहीं किया था. इसके पीछे उसका यही तर्क था कि इससे भारत-चीन सीमा (India-China Border) पर तनाव विस्फोटक रूप ले सकता है. हालांकि उसकी मंशा इसकी आड़ में मारे गए सैनिकों की सही जानकारी उनके परिवारों से छिपाना था. घरेलू मोर्चे पर उठते विरोध और अंतरराष्ट्रीय मंच पर किरकिरी के बाद अब चीन सरकार के मुखपत्र अखबार ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सैनिकों के परिवारों को दिलासा देने का काम किया है.

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वीडियो में उठे विरोध के स्वर
ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू जिन ने गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों के बारे में लिखा है कि, 'सेना में सर्वोच्च सम्मान के साथ मृतकों के साथ व्यवहार किया गया है और यह जानकारी आखिर सही समय पर समाज को दी जाएगी, ताकि नायकों को सम्मानित किया जा सके और उन्हें याद किया जा सके.' गौरतलब है कि दो दिन पहले ही एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दिखाया गया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के परिवार इस बात से नाराज हैं कि भारतीय सैनिकों के विपरीत, उनके शहीदों को कोई सम्मान नहीं मिला.

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फिर दी भारत को नसीहत
हू ने 'पीएलए अधिकारियों और सैनिकों को शीर्ष श्रद्धांजलि' देते हुए लिखा, 'चीन की सुरक्षा और चीन की शांति उन पर (भारत) निर्भर करती है. अब तक चीनी सेना ने मृतकों के बारे में कोई सूचना जारी नहीं की है. पूर्व सैनिक और फिलहाल मीडिया पेशेवर के तौर पर मैं समझता हूं कि यह दोनों देशों में, विशेष रूप से भारत में, जनता की राय को उत्तेजित नहीं करने के उद्देश्य से एक आवश्यक कदम है. यह बीजिंग की सद्भावना है. भारतीय मीडिया ने दावा किया है कि कम से कम 40 चीनी सैनिक मारे गए हैं और भारत ने 16 चीनी सैनिकों के शव सौंपे हैं. ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने अपने लेख में इन बातों को 'बिना चुनौती वाली अफवाहें' करार दिया.