चीन की नापाक चालों का शिकार देउबा सरकार, कैबिनेट विस्तार रोक रहा ड्रैगन
कुल 21 में से देउबा वर्तमान में 15 से अधिक मंत्रालयों की देखरेख कर रहे हैं. इसका मतलब है कि अधिकतर काम नौकरशाही के कंधों पर ही चल रहा है.
highlights
- भारत को घेरने नेपाल पर दबाव बनाने से बाज नहीं आ रहा ड्रैगन
- कठपुतली ओली के जाने के बाद शेर बहादुर देउबा आए निशाने पर
- चालें चल देउबा मंत्रिमंडल विस्तार की राह में डाल रहा अड़चन
काठमांडू:
13 जुलाई को पदभार ग्रहण करने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा अभी भी अपने मंत्रिमंडल के विस्तार के लिए संघर्ष कर रहे हैं. जानकार इसकी वजह नेपाल की राजनीति पर चीन के प्रभाव को बता रहे हैं. इंडिया नैरेटिव से बात करने वाले विश्लेषकों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा है कि गठबंधन सहयोगियों के बीच मतभेद चीनी प्रभाव का प्रत्यक्ष कारण है. बुधवार को देउबा अपने मंत्रिमंडल में एक और सदस्य नारायण खडका को जोड़ने में कामयाब रहे, जो देश के विदेश मंत्री होंगे. कुल 21 में से देउबा वर्तमान में 15 से अधिक मंत्रालयों की देखरेख कर रहे हैं. इसका मतलब है कि अधिकतर काम नौकरशाही के कंधों पर ही चल रहा है.
हालांकि यह नेपाल की आंतरिक समस्या है, मगर भारत स्थिति पर नजर रखे हुए है. एक विश्लेषक ने इंडिया नैरेटिव को बताया, चीन ने पहले ही नेपाली राजनीतिक रूपरेखा को प्रभावित करना शुरू कर दिया है. भारत को चुस्त रहना चाहिए. देउबा को भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों के लिए जाना जाता है. अन्नपूर्णा एक्सप्रेस के एक हालिया लेख में कहा गया है कि यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में चीनी देउबा के साथ कैसे व्यवहार करते हैं. समाचार आउटलेट ने अपनी रिपोर्ट में कहा, उन्होंने नेपाल में एक बड़े राजनीतिक वर्ग का विकास किया है, जिसका उपयोग वे अमेरिकी उपस्थिति को कम करने और नेपाल के लिए पहचाने गए नौ बीआरआई (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) परियोजनाओं के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए करने के लिए सुनिश्चित करने के लिए करते हैं. इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि नेपाली कांग्रेस का एक बड़ा निर्वाचन क्षेत्र अभी भी बीजिंग के साथ घनिष्ठ संबंधों के पक्ष में है.
नेपाल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज के निदेशक भास्कर कोइराला ने इंडिया नैरेटिव से कहा कि देउबा को सरकार के सुचारू और निर्बाध कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए जल्द से जल्द सरकार को विस्तार देना चाहिए, क्योंकि आज के समय में नेपाल के लोगों की प्रभावी शासन और लोक प्रशासन को लेकर बड़ी चिंता है. कोइराला ने कहा, इसके अभाव में न केवल नेपाल की अखंडता अशांति के निरंतर स्तर का अनुभव करने के लिए खड़ी है, बल्कि क्षेत्रीय वातावरण भी काफी दबाव में आ जाएगा. भारत और नेपाल 1800 किलोमीटर से अधिक खुली सीमा साझा करते हैं. इससे पहले, एक लेख में बीजिंग मुख्यालय ग्लोबल टाइम्स ने उल्लेख किया था कि नेपाली कांग्रेस देश की विदेश नीति को भारत के लिए अनुकूल दिशा की ओर ले जाएगी.
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