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अपनी पर आई तो तिलमिलाया चीन, बौखलाहट में अमेरिका को दे डाली चेतावनी

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि अमेरिका का कदम चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप जैसा है.

Updated on: 16 Oct 2020, 08:54 AM

बीजिंग:

विस्तारवादी सोच रखने वाले चीन को अपने आंतरिक मामलों में किसी दूसरे देश की दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं हो रही है. यही वजह है कि भारत समेत दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी करने वाला चीन, अमेरिका के एक कदम से तिलमिला उठा है. बौखलाया चीन अब अमेरिका को धमकियां देने लगा है. चीन ने अमेरिका द्वारा तिब्बत मामले के लिए विशेष समन्वयक नियुक्त करने के कदम की कड़ी निंदा की है. इसके साथ ही ड्रैगन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अमेरिका को तिब्बत के नाम पर चीन के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप या अस्थिर करना बंद कर देना चाहिए.

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चीन ने कहा कि वाशिंगटन का यह कदम तिब्बत को अस्थिर करने की राजनीतिक जालसाजी है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि अमेरिका का कदम चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप जैसा है. उन्होंने कहा, 'तिब्बत मामलों पर कथित विशेष समन्वयक बनाना चीन के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने और शीजांग (तिब्बत का चीनी नाम) को अस्थिर करने की पूरी तरह से राजनीतिक जालसाजी है.'

दरअसल, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बुधवार को लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम मामलों के सहायक विदेशमंत्री रॉबर्ट डेस्ट्रो को तिब्बत मामले का विशेष समन्वयक नामित किया था. पोम्पियो ने कहा कि डेस्ट्रो चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार और दलाई लामा के साथ संवाद को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे ताकि तिब्बत की विशेष धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की रक्षा की जा सके और उनके मानवाधिकार के प्रति सम्मान में सुधार के साथ बहुत कुछ किया जा सके.

डेस्ट्रो की नियुक्ति से चीन बुरी तरह बौखला गया है. लिजियान ने कहा, 'चीन इसका पूरी तरह से विरोध करता है और उसे कभी मान्यता नहीं देगा. शीजांग के जातीय समूह के लोग चीनी राष्ट्र रूपी वृहद परिवार का हिस्सा हैं.' उन्होंने कहा, 'शाांतिपूर्ण स्वतंत्रता के बाद से ही शीजांग में समृद्ध आर्थिक विकास, सौहर्द्रपूर्ण नागरिक समाज और संपन्न संस्कृति है. लोग एकजुटता और आपसी सहयोग के साथ-साथ जीविकोपार्जन में हुए सुधार के साथ आगे बढ़ रहे हैं. तिब्बत के सभी लोगों को पूरी धार्मिक आजादी है और उनके अधिकारों का पूरा सम्मान होता है और उसकी गांरटी प्राप्त है.'

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लिजियान न कहा, 'हमारा विश्वास है कि तिब्बत का भविष्य बेहतर है. अमेरिका को तिब्बत के नाम पर चीन के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप या अस्थिर करना बंद कर देना चाहिए. चीन अपने हितों के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा.' उल्लेखनीय है कि पहले के विपरीत चीनी अधिकारी हाल में तिब्बत का उल्लेख केवल शीजांग के नाम से ही करते हैं.

गौरतलब है कि पिछले साल से ही अमेरिका का डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन तिब्बत से निपटने के चीनी तरीके की आलोचना कर रहा है. खासतौर पर दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति के मुद्दे को लेकर. चीन ने पिछले साल नवंबर में अमेरिका द्वारा दलाई लामा के उत्तराधिकारी के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र ले जाने की योजना पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा था कि वाशिंगटन संयुक्त राष्ट्र के मंच का ‘दुरुपयोग’ आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए कर रहा है. चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि तिब्बत के मौजूदा अध्यात्मिक नेता दलाई लामा (85वर्ष) के उत्तराधिकारी की नियुक्ति में उसकी सहमति जरूरी है.