अवैध घुसपैठ छिपाने के लिए भूटान का इस्तेमाल कर रहा भारत : चीन
चीन ने सोमवार को कहा कि भारत अवैध तौर पर भारतीय जवानों के 'चीनी क्षेत्र' में घुसपैठ को 'छिपाने' के लिए भूटान का इस्तेमाल कर रहा है और इसके साथ ही उसने सैनिकों को तुरंत वापस बुलाने की मांग की।
highlights
- चीन ने कहा कि भारत अवैध तौर पर भारतीय जवानों के 'चीनी क्षेत्र' में घुसपैठ को 'छिपाने' के लिए भूटान का इस्तेमाल कर रहा है
- चीन ने इसके साथ ही भारत पर आरोप मढ़ते हुए सैनिकों को तुरंत वापस बुलाने की मांग की है
New Delhi:
चीन ने सोमवार को कहा कि भारत अवैध तौर पर भारतीय जवानों के 'चीनी क्षेत्र' में घुसपैठ को 'छिपाने' के लिए भूटान का इस्तेमाल कर रहा है और इसके साथ ही उसने सैनिकों को तुरंत वापस बुलाने की मांग की।
चीन ने कहा कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1980 की संधि को स्वीकार किया था, जिसमें चीन ने डोंगलांग पर दावा किया था। डोंगलांग चीन व भूटान के बीच विवादित क्षेत्र है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र चार्टर व अंतर्राष्ट्रीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों व चीनी क्षेत्र की अखंडता के खिलाफ है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने नेहरू के तत्कालीन चीनी प्रधानमंत्री चाउ एन लाई को भेजे पत्रों का हवाला दिया।
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चीन और भारत ने डोंगलांग में अपने सैनिकों के बीच गतिरोध पर अपनी स्थिति से हटने से इनकार कर दिया है। डोंगलांग पर चीन अपना दावा करता है और भारत इसे चीन व भूटान के बीच विवादित क्षेत्र कहता है।
इससे दोनों एशियाई देशों के बीच तनाव पैदा हो गया है। एक चीनी विशेषज्ञ ने कहा कि दोनों देशों के बीच युद्ध से इनकार नहीं किया जा सकता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'भारतीय जवानों के चीनी क्षेत्र में अवैध घुसपैठ को छिपाने के क्रम में भारतीय पक्ष भूटान की संप्रभुता का उल्लंघन करना चाहता है, जो कि व्यर्थ है।'
चीन का कहना है कि भारत को भूटान व बीजिंग के बीच के विवाद में दखल नहीं देना चाहिए। हालांकि, भूटान ने विवादित डोंगलांग में चीन द्वारा सड़क बनाए जाने का विरोध किया है।
उन्होंने कहा, 'हमें भारत और भूटान के बीच सामान्य द्विपक्षीय संबंधों को लेकर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन भारतीय पक्ष के भूटान के बहाने चीनी क्षेत्र की सीमा उल्लंघन पर सख्त आपत्ति है।'
गेंग ने कहा, 'भूटान को पहले पता नहीं था कि भारतीय जवानों ने डोकलाम इलाके में घुसपैठ की है, जो भारतीय पक्ष द्वारा किए गए दावे के अनुरूप नहीं है।'
यह पूछे जाने पर कि वह भारतीय रक्षामंत्री अरुण जेटली की टिप्पणी '2017 का भारत 1962 का भारत नहीं' पर वह क्या सोचते हैं? गेंग ने कहा, 'कुछ हद तक यह कहना सही है कि 2017 का भारत 1962 के भारत से अलग है, उसी तरह चीन भी अलग है।'
बीते सप्ताह चीन ने भारत को 1962 की सैन्य पराजय से सबक लेने की बात कह कर चेतावनी दी थी, जिस पर जेटली ने कहा था कि 2017 का भारत 1962 का भारत नहीं है।
गेंग ने कहा, 'डोंगलांग चीन सीमा की तरफ स्थित है और यह चीन का हिस्सा है। चीनी क्षेत्र में घुसपैठ करने और चीनी सेना के जवानों की सामान्य गतिविधियों को रोक कर भारतीय पक्ष ने मौजूदा समझौते का उल्लंघन किया है।'
उन्होंने कहा, 'हमने भारत के बयान पर गौर किया है। यह 1980 में ग्रेट ब्रिटेन व चीन व तिब्बत के बीच हुए समझौते से भागना है।'
उन्होंने कहा, 'भारतीय प्रधानमंत्री (जवाहरलाल) नेहरू ने भारत सरकार की तरफ से स्पष्ट रूप से मान्यता दी थी कि 1980 के समझौते ने सीमा परिभाषित कर दी है।' गेंग ने नेहरू के चाउ एन लाई को 1959 में लिखे गए पत्रों के हवाले से कहा कि 1980 में सीमा निर्धारित की गई थी।
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