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China की 40 लाख Corona Vaccine नेपाल कभी भी नहीं करेगा इस्तेमाल

काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने दावा किया कि सिनोवैक-कोरोनावैक वैक्सीन को बूस्टर खुराक के रूप में भी उपयोग में लाने के लिए विश्वसनीय संगठनों से सिफारिशें नहीं मिली हैं.

Updated on: 05 Dec 2022, 04:24 PM

highlights

  • चीन ने मानवीय सहायता के तहत मार्च में भेजी थी सिनोवैक-कोरोनावैक कोरोना वैक्सीन
  • इस वैक्सीन के दो साल तक खराब नही होने की वजह से नेपाल ने अन्य वैक्सीन लगाईं
  • अब 40 लाख चीनी कोरोना वैक्सीन नेपाल में कभी भी इस्तेमाल में नहीं लाई जा सकेंगी

काठमांडू:

चीन (China) की सिनोवैक कंपनी की सिनोवैक-कोरोनावैक कोरोना वैक्सीन की चार मिलियन खुराक नेपाल (Nepal) कभी भी उपयोग में नहीं लाएगा. नेपाल के स्वास्थ्य और जनसंख्या मंत्रालय ने चार बार राष्ट्रीय टीकाकरण सलाहकार समिति की बैठक में चीनी वैक्सीन (Corona Vaccine) को उपयोग में लाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन इस बाबत कोई निर्णय नहीं लिया गया. यह तब है जब नेपाल में कोरोना वैक्सीन की बूस्टर खुराक (Booster Dose) लेने वालों की संख्या बेहद निराशाजनक है. ऐसे में सिनोवैक-कोरोनावैक कोविड-19 (COVID-19) वैक्सीन का भाग्य भी अधर में है. गौरतलब है कि मार्च में चीन सरकार ने अनुदान सहायता के तहत सिनोवैक-कोरोनावैक वैक्सीन की 40 लाख खुराक टीकाकरण के लिए नेपाल भेजी थीं. चीन का यह कोरोना टीका दो साल तक खराब नहीं होता है. ऐसे में नेपाल के स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसकी तुलना में जल्द खराब हो जाने वाली कोरोना वैक्सीन को उपयोग में लाने का फैसला किया.

चीनी वैक्सीन बूस्टर खुराक बतौर भी नहीं आ सकती इस्तेमाल में
नेपाल के अखबार द काठमांडू पोस्ट ने बताया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अधिकारियों को सलाह दी थी कि महीनों पहले निर्मित टीके की खुराक को लंबे समय तक स्टॉक में रखना नासमझी होगी. उन्होंने साथ ही तर्क भी दिया कि कोविड के वेरिएंट तेजी से बदल रहे हैं. ऐसे में दवा कंपनियां अपने टीकों को उसके अनुरूप फिर से डिजाइन करने पर काम कर रही हैं. नेपाल के परिवार कल्याण विभाग के निदेशक डॉ बिबेक कुमार लाल ने बताया, 'हमने स्थानीय निकायों से यह भी अनुरोध किया कि वे पहली खुराक के रूप में सिनोवैक-कोरोनावैक वैक्सीन का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन अधिकांश स्थानीय इकाइयों के प्रतिनिधियों का कहना है कि उनके पास ऐसे लोग नहीं हैं जिन्होंने टीके की कोई खुराक नहीं ली हो.' काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने दावा किया कि सिनोवैक-कोरोनावैक वैक्सीन को बूस्टर खुराक के रूप में भी उपयोग में लाने के लिए विश्वसनीय संगठनों से सिफारिशें नहीं मिली हैं.

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चीन की वेरो सेल वैक्सीन डेल्टा संक्रमण के दौरान आई थी नेपाल के काम
हालांकि इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन के टीकाकरण विशेषज्ञों के रणनीतिक सलाहकार समूह ने कोविड-19 के खिलाफ सिनोवैक-कोरोनावैक वैक्सीन को उपयोग में लाने के लिए अंतरिम सिफारिशें जारी की थीं. डब्ल्यूएचओ ने कहा था, 'वैक्सीन 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी लोगों के लिए सुरक्षित और प्रभावी है. डब्ल्यूएचओ के रोडमैप और दिशा-निर्देशों के अनुरूप चीन की यह वैक्सीन वृद्ध वयस्कों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और प्रतिरक्षा के प्रति संवेदनशील लोगों को प्राथमिकता के आधार पर लगानी चाहिए. सिनोवैक वैक्सीन उन लोगों को दी जा सकती है, जिन्हें अतीत में कोविड-19 हो चुका है. हालांकि कोराना संक्रमण से ठीक होने के 3 महीने के बाद ही चीनी वैक्सीन की खुराक संबंधित शख्स को दी जानी चाहिए.' काठमांडू पोस्ट ने बताया कि चीन अब तक नेपाल को वेरो सेल वैक्सीन की 3.8 मिलियन खुराक भी दे चुका है. इसका इस्तेमाल कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से संक्रमण की लहर के दौरान भारी मददगार बना था. नेपाल स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो सिनोवैक-कोरोनावैक वैक्सीन की  40 लाख खुराकों को रद्द करना पड़ सकता है, क्योंकि इसके इस्तेमाल की संभावनाएं बेहद कम हैं.