राष्ट्र ने लॉकडाउन के दौरान बच्चों के वर्चुअल मंच पर अधिक समय बिताने को लेकर आगाह करते हुए कहा कि इससे दुनिया भर में लाखों बच्चे ऑनलाइन यौन उत्पीड़न का शिकार हो सकते हैं और साथ ही इंटरनेट पर डराने, धमकाने के मामले भी बढ़ सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र की बाल मामलों की एजेंसी यूनिसेफ ने कहा कि दुनियाभर में स्कूल बंद होने के कारण 15 लाख बच्चे प्रभावित हुए और अब वे वर्चुअल मंचों पर अधिक समय बिता रहे हैं.
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यूनिसेफ ने कहा कि बच्चों के वर्चुअल मंच पर अधिक समय बिताने से वे ऑनलाइन यौन उत्पीड़न का शिकार हो सकते हैं और उनमें कुत्सित भावनाएं उत्पन्न हो सकती है, क्योंकि कई लोग कोविड-19 का फायदा उठा रहे हैं. दोस्तों और साथियों से मिल ना पाने के कारण वे कामुक तस्वीरें भेज सकते हैं, जबकि ऑनलाइन अधिक एवं अव्यवस्थित तरीके से समय बिताने से बच्चों की संभवत: हानिकारक और हिंसक सामग्री तक पहुंच बढ़ सकती है, जिससे इंटरनेट पर डराने, धमकाने के मामले बढ़ने की आशंका भी अधिक हो सकती है.
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ग्लोबल पार्टनरशिप टू एंड वायलेंस’ के कार्यकारी निदेशक हॉवर्ड टेलर ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण लोगों को ऑनलाइन समय बिताने में अभूतपूर्व वृद्धि हुइ है. उन्होंने कहा कि स्कूल बंद होने और कड़े प्रतिबंधों के कारण अधिक से अधिक परिवार बच्चों को पढ़ाने, उनका मन लगाए रखने और बाहरी दुनिया से जोड़ने के लिए प्रौद्योगिकी तथा डिजिटल साधनों पर निर्भर हैं, लेकिन सभी बच्चों को ऑनलाइन खुद को सुरक्षित रखने के बारे नहीं पता है.
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यूनिसेफ ने ग्लोबल पार्टनरशिप टू एंड वायलेंस अगेंस्ट चिल्ड्रेन, इंटरनेशनल टेलीकम्यूनिकेशन यूनियन, यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गनाइजेशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर एक नया तकनीकी नोट जारी किया है, जिसका उद्देश्य सरकारों, शिक्षकों और अभिभावकों को सतर्क करना है ताकि वे यह सुनिश्चित करें कि कोविड-19 के दौरान बच्चों का ऑनलाइन अनुभव सुरक्षित और सकारात्मक हों.
Source : Bhasha