तालिबान राज में एयर कॉरिडोर बंद होने से खतरे में कालीन उद्योग, पाई-पाई को मोहताज हुए व्यापारी
तालिबान राज आने के बाद से अफगानिस्तान में कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है. हवाई गलियारे बंद किए जाने से यहां के व्यापारियों में चिंता साफ नजर आ रही है. व्यापारियों ने कहा कि हवाई गलियारे बंद होने से कालीन निर्यात में काफी कमी आई है,
highlights
- एयर कॉरिडोर बंद होने से कालीन निर्यात में भारी गिरावट
- 40 से 50 दिनों के दौरान ठप हुआ कारोबार
- कालीन उद्योग ठप होने से व्यापारियों में निराशा
काबुल:
तालिबान राज आने के बाद से अफगानिस्तान में कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है. एयर कॉरिडोर बंद किए जाने से यहां के व्यापारियों में चिंता साफ नजर आ रही है. व्यापारियों ने कहा कि हवाई गलियारे बंद होने से कालीन निर्यात में काफी कमी आई है, उन्होंने कहा कि घरेलू बिक्री में भी कमी आई है. निर्यात नहीं होने से कालीन कारोबारियों में निराशा का माहौल है. यहां तक कि पिछले 40 से 50 दिनों में इस कारोबार में भारी गिरावट दर्ज की गई है. "एयर कॉरिडोर पिछले महीने एक महीने से अधिक समय से बंद है.
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एक व्यापारी मोहिबुल्लाह कोही ने कहा, 'हमारे पास उत्पाद हैं, लेकिन निर्यात बंद हो गया है.एक व्यापारी मोहम्मद अयूब ने कहा, पहले एयर कॉरिडोर मौजूद था, बंदरगाह भी खुले हुए थे और हमने यूरोप, अमेरिका, यूएई और भारत को उत्पादों का निर्यात किया, लेकिन हवाई गलियारे बंद होने से घरेलू बाजार पर भी असर पड़ा है. पिछले 40 से 50 दिनों के दौरान हमारा कारोबार ठप हो गया है. हमारे पास (अफगानिस्तान) के बाहर ग्राहक थे, हम कालीन तो बेच रहे हैं, लेकिन पैसे ट्रांसफर नहीं कर सकते.
चार साल से अधिक समय से कालीन उद्योग में काम कर रही समीरा ने कहा, “स्थिति पहले से कहीं अधिक बदल गई है क्योंकि पहले कालीनों की कीमत अच्छी थी और हम जो काम कर रहे थे वह पैसे कमाने के लायक था, लेकिन तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अमीरात आ चुका है. हम जो कालीन बुन रहे हैं, वह विदेशों में निर्यात नहीं किया जा रहा है जिसकी वजह से कीमत गिर गई है. वाणिज्य और निवेश मंडल ने कहा कि अगर कालीनों के लिए पर्याप्त बाजार नहीं मिला, तो उद्योग पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगा. चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इनवेस्टमेंट के एक सदस्य खान जान अलोकोजई ने कहा, "एयर कॉरिडोर पिछले महीने एक महीने से अधिक समय से बंद है. इससे हमारे निर्यात को बड़ा नुकसान हुआ है, हमारा निर्यात न केवल कम हुआ है, बल्कि पूरी तरह से बंद हो गया है. अफगान कालीनों का उद्योग एक अरब डॉलर प्रति वर्ष है.
अमेरिका और जर्मनी है सबसे बड़े ग्राहक
अफगानिस्तान के सबसे बड़े ग्राहक अमेरिका और जर्मनी हैं. इटली, कनाडा, स्विट्जरलैंड, मेक्सिको को में भी अफगान कालीनें जाती हैं. पाकिस्तान भी अफगानिस्तान का एक बड़ा ग्राहक है. पाकिस्तान अफगानिस्तान से कालीन आयात कर उसे दूसरे देशों में भेजता है. अब अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे की वजह से अशांति का माहौल है. इस वजह से कालीन निर्यात में गिरावट हुई है जो आगे भी जारी रह सकती है.
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