वॉशिंगटन हिंसा बाद फिर शुरू हुई जो बाइडेन की जीत की पुष्टि प्रक्रिया
कांग्रेस ने फिर से इलेक्टोरल कॉलेज वोटों के मिलान का संवैधानिक काम शुरू कर दिया है ताकि 46वें अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर जो बाइडेन और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की जीत की पुष्टि की जा सके.
वॉशिंगटन:
अमेरिकी लोकतंत्र के गढ़ कही जाने वाली कैपिटल बिल्डिंग पर हुए हिंसक हमले के बाद कांग्रेस ने फिर से इलेक्टोरल कॉलेज वोटों के मिलान का संवैधानिक काम शुरू कर दिया है ताकि 46वें अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर जो बाइडेन और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की जीत की पुष्टि की जा सके. दंगाइयों को उकसाने में मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका को लेकर उनकी काफी निंदा की जा रही है. ट्रंप समर्थकों ने कैपिटल बिल्डिंग पर कब्जा कर लिया था और यहां हुई गोलीबारी में एक महिला की मौत हो गई. वहीं कांग्रेस के सदस्यों को पुष्टि की प्रक्रिया को रोककर सुरक्षित क्षेत्रों में शरण लेनी पड़ी.
सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी के लीडर मिच मैककॉनेल ने कहा, 'इससे पहले हमें कभी नहीं रोका गया था, हम आज भी नहीं डिगेंगे. उन्होंने हमारे लोकतांत्रिक काम में रुकावट करने की कोशिश की है. वे असफल रहे.' डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेट नेता चक शूमर ने कहा, 'लोकतंत्र के इस मंदिर को अपवित्र किया गया.' सीबीएस टीवी से बात करते हुए भारतीय-अमेरिकी रिप्रजेंटेटिव प्रमिला जयपाल ने हमला कराने के लिए ट्रंप पर महाभियोग चलाने का आह्वान किया. भले ही वह 2 हफ्तों तक और सत्ता में रहेंगे.
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दंगाइयों की इस भीड़ ने सारी सुरक्षा व्यवस्थाओं को हटाते हुए कैपिटल में सीनेट के चैंबर में प्रवेश किया और उसे क्षति पहुंचाई. उन्हें रोकने के लिए नेशनल गार्ड को उप-राष्ट्रपति माइक पेंस और फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन (एफबीआई) की टीमों ने आदेश दिया. इस अराजकता के दौरान गोली लगने से एक महिला की मौत हो गई. मृतका और उसे गोली मारने वाले व्यक्ति, दोनों की ही अब तक पहचान नहीं हो पाई थी.
डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स और रिपब्लिकन-बहुमत वाले सीनेट के चैम्बरों को तेजी से साफ किया गया ताकि विधायक यहां वापस आ सकें. इन कमरों में बम और गोला-बारूद थे. बता दें कि ट्रंप 3 नवंबर, 2020 के चुनावों के परिणामों को स्वीकार करने से इनकार कर चुके हैं. उन्होंने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी होने का आरोप लगाते हुए अदालतों में 50 से अधिक मुकदमे भी दायर किए थे.
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कांग्रेस के अधिवेशन से पहले उन्होंने कांग्रेस के समर्थकों की रैली करके घोषणा की थी कि वे बाइडेन से हार नहीं मानेंगे और आवेश-नाराजगी की लहर ला देंगे. ट्रंप ने कहा था, 'इस साल के चुनावों जैसी धांधली पहले कभी नहीं हुई. अब हम वहां (कैपिटल की ओर) जा रहे हैं और हम अपने बहादुर सीनेटरों और कांग्रेसी महिला-पुरुषों को खुश करने जा रहे हैं (वे लोग जिन्होंने जो बाइडेन के चुने जाने पर आपत्ति जताई है).'
'ट्रंप' और 'यूएसए, यूएसए' के नारे लगाते हुए उनके हजारों समर्थकों ने एरिजोना के इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों के खिलाफ आपत्ति जताई और हमला कर दिया. कई दंगाइयों ने बिल्डिंग में प्रवेश करने के लिए दीवारों और खिड़कियों को तोड़ दिया. उन्होंने कैपिटल के चारों ओर के बैरियर्स को हटा दिया. दंगाइयों के सीनेट कक्ष तक पहुंचने के कारण सुरक्षाकर्मी उपराष्ट्रपति पेंस और स्पीकर नैंसी पेलोसी को सुरक्षित स्थानों पर ले गए. दंगाइयों को सीनेट प्रेसिडेंट की कुर्सी पर बैठे, ट्रंप के झंडे और तख्तियों के साथ पूरे कमरे में घूमते देखा गया.
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डेमोक्रेटिक रिप्रजेंटेटिव राजा कृष्णमूर्ति ने ट्वीट कर कहा, 'मुझे कैपिटल ग्राउंड में सुरक्षित आश्रय मिल गया है और हम इस भीड़ द्वारा मचाए जा रहे उत्पात और हिंसा को देख रहे हैं, जो राष्ट्रपति के आग्रह पर और उनके द्वारा निष्पक्ष लोकतांत्रिक चुनाव के परिणाम को स्वीकार करने से इनकार करने के दावे का अनुसरण करते हुए ऐसा कर रहे हैं.' एनबीसी टीवी पर एक टीवी क्लिप दिखाई गई, जिसमें रिप्रजेंटेटिवप्रमिला जयपाल को अन्य लोगों के साथ हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स की गैलरी में दिखाया गया.
इस पूरे हंगामे को देखते हुए बाइडेन ने मांग की कि ट्रंप राष्ट्रीय टेलीविजन पर आएं और अपने समर्थकों से कैपिटल की घेराबंदी खत्म करने और यहां से वापस जाने के लिए कहें. उन्होंने कहा, .राष्ट्रपति ट्रंप, आगे आएं.' इसके कुछ समय बाद ट्रंप ने एक वीडियो ट्वीट कर समर्थकों से घर जाने के लिए कहा. उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं अमेरिकी कैपिटल में सभी से शांति बनाए रखने के लिए कह रहा हूं. हिंसा न करें! याद रखिए, हम लॉ एंड ऑर्डर वाली पार्टी हैं. कानून और ब्लू कलर (डेमोक्रेटिक पार्टी के लोग) वाले महान पुरुषों और महिलाओं का सम्मान करें. धन्यवाद.' इस पूरे मामले को लेकर न केवल बाइडेन बल्कि ट्रंप की पार्टी के सदस्यों ने भी ट्रंप को ही हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है, जिसके जरिये उनके समर्थकों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को खतरा पैदा किया है.
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