तालिबान राजः लड़के-लड़कियां एक क्लास में पढ़ेंगे, पर एक दूसरे को देख नहीं सकेंगे
आदेश में यह भी कहा गया है कि महिलाएं स्कूल या विश्वविद्यालय में खुद को सिर से पांव तक ढककर आएं. यही नहीं, चेहरे को भी बुर्के या नकाब से ढकना होगा.
highlights
- महिलाओं पर तमाम पाबंदियों और बर्बरता की खबरें सामने आ रही हैं
- तालिबान राज में शिक्षा को लेकर भी जारी हो रहा अजीबोगरीब फरमान
- अफगानिस्तान पर हो चुका है तालिबान का कब्जा
नई दिल्ली :
तालिबान राज में क्रूरता और अत्याचार की तमाम खबरें आ रही हैं. अब शिक्षा को लेकर भी एक अजीबो-गरीब फरमान देखने को मिला है. तालिबान ने एक ऐसी व्यवस्था की है कि लड़के और लड़कियां एक क्लास में पढ़ेंगे लेकिन एक दूसरे को देख नहीं सकेंगे. क्लास में एक तरफ लड़के और दूसरी तरफ लड़कियां बैठेंगी, दोनों के बीच में परदा लगा होगा. इस अजीबोगरीब फरमान से लोग आश्चर्यचकित हैं. यह आदेश तालिबान हायर एजुकेशन मिनिस्ट्री की ओर से जारी किया गया है. आदेश में कहा गया है कि यूनिवर्सिटीज में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग क्लास होनी चाहिए.
साथ ही ये भी कहा गया है कि अगर यह संभव नहीं है तो क्लासरूम में परदे की व्यवस्था की जाए. यही नहीं, क्लास से पहले लड़के निकलेंगे और बाद में लड़कियां निकलेंगी. इस आदेश के बाद अफगानिस्तान की कई न्यूज एजेंसी ने क्लास रूम की तस्वीरें भी जारी की हैं, जिसमें क्लासरूम में बीच में परदा लगा दिखाया गया है. सोशल मीडिया पर यह तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं. यही नहीं, क्लास में छात्राएं भी बुर्के या नकाब में दिखाई दे रही हैं.
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यही नहीं, तालिबान के आदेश में तमाम कई अन्य बिंदु भी हैं. आदेश में यह भी कहा गया है कि महिलाएं स्कूल या विश्वविद्यालय में खुद को सिर से पांव तक ढककर आएं. यही नहीं, चेहरे को भी बुर्के या नकाब से ढकना होगा. यही नहीं, छात्राओं को सिर्फ महिला अध्यापक ही पढ़ा सकती हैं. अगर ये संभव नहीं है तो बुजुर्ग और अच्छे चरित्र वाले पुरुष अध्यापक ही महिलाओं को पढ़ा सकते हैं. बता दें कि पिछले दिनों अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया.
इसके बाद से तमाम व्यवस्थाएं बदल गईं. महिलाओं पर तमाम पाबंदियों और बर्बरता की खबरें सामने आ रही थीं. लड़कियों की शिक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही थी. इससे पहले 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान का राज रहा था. तब लड़कियों के पढ़ने पर पाबंदी थी. अब दोबारा तालिबान राज आया तो तालिबान ने लड़कियों को पढ़ने की छूट तो दी है लेकिन जिस तरह के नियम आ रहे हैं, उससे सवाल उठ रहा है कि दहशत के माहौल में पढ़ना कहां तक संभव हो पाएगा.
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