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चीन के खिलाफ इस मामले में भारत के साथ आ सकता है भूटान, पढ़ें पूरी खबर

भूटान ने 2017 में भी बेल्ट एंड रोड फोरम की बैठक का बहिष्कार किया था और भारत के साथ खड़ा हुआ था.

Updated on: 15 Apr 2019, 06:35 AM

नई दिल्ली:

चीन के बेल्ट एंड रोड फोरम की बैठक में 40 देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकारों के शामिल होने की संभावना है. भारत के पड़ोसी देशों श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और बांग्लादेश ने इसमें शामिल होने के लिए औपचारिक सहमति दे दी है. लेकिन इस बैठक में शामिल होने से भारत ने इनकार कर दिया है. अब भूटान भी इस बैठक में शामिल किए जाने की चीन की कोशिश का विरोध कर रहा है. कूटनीतिक सूत्रों ने बताया कि भूटान बीआरआई फोरम बैठक में संभवतः शामिल नहीं होगा.

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भूटान ने 2017 में भी बेल्ट एंड रोड फोरम की बैठक का बहिष्कार किया था और भारत के साथ खड़ा हुआ था. लेकिन चीन लगातार भूटान को अपने साथ मिलाने की कोशिशों में लगा हुआ है. पिछले कुछ समय से बीजिंग, भूटान की नई सरकार को नई दिल्ली के प्रभाव से दूर करने की कोशिश कर रहा है. चीन के साथ भूटान के कोई कूटनीतिक संबंध नहीं हैं. हालांकि वह अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए चीन को संभावित साझीदार के रूप में देख रहा है.

रणनीतिक मामलों के जानकारों का यह मानना है कि पिछले बैठक की तरह भूटान इस बार भी शामिल नहीं होगा. भूटान को डर है कि इस बैठक में भाग लेने से कहीं भारत के साथ उसके संबंध प्रभावित न हो जाएं. इसे पता है कि फोरम में उसकी मौजूदगी भारत द्वारा संभवत स्वीकार नहीं की जाएगी. हालांकि अब सबकी निगाहें भूटान पर टिकी है, जिसने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है.

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बता दें कि चीन की महत्वकांक्षी 46 अरब डॉलर लागत वाली यह चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर स्थित गिलगित बाल्टिस्तान से होकर गुजरती है, जिस पर भारत अपना दावा जताता है. भारत हमेशा से कहता है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भी भारत का हिस्सा है और उस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है. ऐसे में भारत की इजाजत के बिना चीन वहां से आर्थिक गलियारा नहीं बना सकता है. चीन ने आर्थिक मंदी से उबरने, बेरोजगारी से निपटने और अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए 2013 में यह परियोजना पेश की.

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