बांग्लादेश में श्रीलंका जैसे हालात, ईंधन कीमतों में तेजी के खिलाफ सड़कों पर हिंसा
कमोबेश बांग्लादेश की स्थिति श्रीलंका जैसी हो गई है. उस पर ईंधन कीमतों की वृद्धि ने लोगों के गुस्से को और भड़का दिया है. कई शहरों में विरोध प्रदर्शन के बाद प्रदर्शनकारी हिंसा पर उतारू हो गए.
highlights
- आजादी के बाद ईंधन की कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी
- बिजली संकट, ईंधन कीमतों के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूटा
- कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हिंसक हुआ, पुलिस से भी संघर्ष
ढाका:
बांग्लादेश भी श्रीलंका (Sri Lanka) की तरह आर्थिक मंदी और जरूरी उपभोक्ता वस्तुओं की कमी का सामना कर रहा है. आलम यह आ पहुंचा है कि शेख हसीना (Sheikh Hasina) सरकार को पेट्रोल के दामों पर 51.7 फीसदी औऱ डीजल पर 49 फीसदी की वृद्धि करनी पड़ी है. आजादी के बाद ईंधन (Fuel) की दरों में की गई यह सबसे बड़ी वृद्धि है. ईंधन की कीमतों में जबर्दस्त इजाफा देख लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है और बांग्लादेश के कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन के बाद भीड़ हिंसा पर उतारू हो गई है. प्रदर्शनकारी ईंधन की कीमतों में की गई मूल्य वृद्धि की वापसी की मांग कर रहे हैं. इस मूल्यवृद्धि के बाद बांग्लादेश (Bangladesh) में पेट्रोल 135 टका प्रति लीटर के पार पहुंच गया है. विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के चलते बांग्लादेश के पास 4-5 महीनों के लिए ही पेट्रोल-डीजल का पैसा बचा है. यही नहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी एक बिलियन डॉलर से ज्यादा का आर्थिक राहत पैकेज देने से इंकार कर हसीना सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. इस बीच हसीना सरकार ने ईंधन की मूल्य वृद्धि के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध को जिम्मेदार ठहराया है.
आईएमएफ ने मांग के अनुरूप राहत पैकेज से किया इंकार
गौरतलब है कि आर्थिक संकट से उबरने के लिए हसीना सरकार ने आईएमएफ से 4 बिलियन डॉलर का राहत पैकेज मांगा था. हालांकि आईएमएफ ने ढाका की स्थिति को देखते हुए 1 बिलियन डॉलर से अधिक का राहत पैकेज देने साफ इंकार कर दिया है. विदेशी मुद्रा भंडार की कमी की वजह से जरूरी वस्तुओं का आयात प्रभावित हो रहा है. कमोबेश बांग्लादेश की स्थिति श्रीलंका जैसी हो गई है. उस पर ईंधन कीमतों की वृद्धि ने लोगों के गुस्से को और भड़का दिया है. कई शहरों में विरोध प्रदर्शन के बाद प्रदर्शनकारी हिंसा पर उतारू हो गए. उन्होंने न सिर्फ पुलिस के वाहनों में तोड़-फोड़ की बल्कि पेट्रोल पंप कर्मियों के साथ भी मारपीट की. कई स्थानों से आगजनी की खबरें भी आई हैं. इसके पहले ईंधन की बढ़ी कीमतों के लागू होने से पहले पेट्रोल पंपों पर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें देखी गईं. इस आपाधापी में कई जगह पेट्रोल पंप कर्मियों संग हिंसा भी हुई.
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ईंधन की कमी से बिजली घर बंद किए गए
विशेषज्ञों का मानना है कि ईंधन की कीमतों में बढ़ोत्तरी का असर महंगाई के रूप में सामने आएगा. गौरतलब है कि जून में बांग्लादेश में महंगाई की दर 7.56 तक पहुंच गई थी, जो पिछले 9 सालों का उच्चतम स्तर था. विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के मद्देनजर सरकार के कई कदम उठाए हैं. इनमें लग्जरी वस्तुओं समेत ईंधन के आयात में कटौती कर दी है. ईंधन की कमी के चलते हसीना सरकार ने कई डीजल संचालित बिजलीघरों को बंद कर दिया है. इसकी वजह से देश में बिजली संकट भी खड़ा हो गया है. आंकड़ों के मुताबिक 3 अगस्त को बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार 39.67 बिलियन डॉलर था. इस रकम से हद से हद कुछ महीनों तक ही जरूरी वस्तुओं का आयात किया जा सकेगा. कह सकते हैं कि बांग्लादेश भी श्रीलंका की राह पर कदम बढ़ा चुका है.
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