आस्ट्रिया के लोगों ने रविवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए दोबारा मतदान किया। चुनावी मुकाबला रूढ़िवादी फ्रीडम पार्टी के नेता नोर्बर्ट होफर और ग्रीन पार्टी के पूर्व प्रमुख एलेक्जेंडर वान डेर बेलेन के बीच है। बीबीसी के अनुसार, इसी साल मई में हुए मतदान में वान डेर बेलेन बहुत कम अंतर से जीते थे, लेकिन मतगणना में गड़बड़ी की वजह से सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव परिणाम रद्द कर दिया था।
इस चुनाव में यदि होफर की जीत होती है तो वह यूरोपीय संघ के किसी देश के पहले घोर रूढ़िवादी राष्ट्रपति होंगे। हालांकि राष्ट्रपति की भूमिका बहुत हद तक रस्मी ही है, लेकिन इन मतों को इस पैमाने के रूप में देखा जा रहा है कि चुनावों में जनवादी उम्मीदवारों का प्रदर्शन कैसा रहता है।
अगले वर्ष फ्रांस, नीदरलैंड्स और जर्मनी में भी चुनाव होने वाले हैं, जिनमें मुख्यधारा की विरोधी एवं प्रवास विरोधी दल अपनी जड़ें जमा रहे हैं। बीसीसी की खबर के अनुसार, इस बारे में आस्ट्रिया जिस दिशा में जाएगा, यूरोपीय संघ उस पर बारीकी से नजर रख रहा है।
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होफर ने प्रवासी विरोधी मंच से अभियान चलाया है और शुरुआत में कहा है कि आस्ट्रिया अपने यह जनमत संग्रह कराकर यूरोपीय संघ से बाहर होने के लिए ब्रिटेन की राह अपना सकता है।
बेलेन ने आस्ट्रिया वासियों से कहा है कि यह इस बात का सबूत है कि होफर यूरोपीय संघ से बाहर होने के पक्ष में हैं। इस पर शुक्रवार को पार्टी की एक बैठक में होफर ने कहा कि विरोधी जो बार-बार उन पर यूरोपीय संघ से अलग होना चाहने का आरोप लगा रहे हैं, वे खुद आस्ट्रिया का नुकसान कर रहे हैं।
पहले चरण के राष्ट्रपति चुनाव में होफर की जीत हुई थी। दूसरे चरण में मात्र 31 हजार मतों से बेलेन की जीत हुई थी। मगर मतगणना में गड़बड़ी की शिकायत के बाद अदालत ने चुनाव परिणाम रद्द कर दिया था।
Source : IANS