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सीमा विवाद के बीच सेनाध्यक्ष नरवणे का 3 दिवसीय नेपाल दौरा, महारथी सम्मान से होंगे सम्मानित

भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे का तीन दिवसीय नेपाल दौरा आज से शुरू हो रहा है. इस दौरे के दौरान भारतीय सेना प्रमुख को नेपाली सेना प्रमुख की मानार्थ पदवी दी जाएगी.

Updated on: 04 Nov 2020, 05:30 AM

काठमांडू:

भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे का तीन दिवसीय नेपाल दौरा आज से शुरू हो रहा है. इस दौरे के दौरान भारतीय सेना प्रमुख को नेपाली सेना प्रमुख की मानार्थ पदवी दी जाएगी. 1950 से ही दोनों देशों के बीच एक दूसरे के प्रधान सेनापति को अपनी सेना के प्रमुख का मानार्थ पदवी देने की परंपरा चलती आ रही है. जनरल नरवणे भारतीय सेना के १९वें सेना प्रमुख होंगे जिन्हें नेपाली सेना का जनरल रैंक से नवाजा जाएगा.   

इन मुद्दों पर होगी चर्चा

नेपाली सेना की सर्वोच्च कमांडर की हैसियत से नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के हाथों से राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में एक आयोजन के दौरान यह सम्मान दिया जाएगा. नेपाली सेना प्रमुख के साथ उनकी द्विपक्षीय वार्ता भी तय है. इसमें दोनों देशों के बीच सैन्य सहकारी को और अधिक बढ़ाने, नेपाली सेना को आवश्यक हथियार और गोला बारूद उपलब्ध कराने, संयुक्त सैन्य अभ्यास को निरंतरता देने जैसी मुद्दों पर चर्चा होना है.

राष्ट्रपति विद्या भंडारी से शिष्टाचार मुलाक़ात 

नेपाल दौरे के दौरान भारतीय सेनाध्यक्ष की कई महत्वपूर्ण राजनीतिक मुलाक़ात भी तय है. राष्ट्रपति विद्या भंडारी से शिष्टाचार मुलाक़ात के अलावा सबसे अहम है नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के साथ उनकी मुलाक़ात. प्रधानमंत्री ओली से जनरल नरवणे की शिष्टाचार मुलाकार तो होगी ही साथ ही रक्षा मंत्री के तौर पर भी पीएम ओली सीमा विवाद के विषय पर कोई संदेश देने की कोशिश कर सकते हैं. गौरतलब है कि भारतीय सेना प्रमुख के नेपाल दौरे की औपचारिक घोषणा के दिन ही पीएम ओली ने कैबिनेट में अपने सबसे वरिष्ठ सहयोगी और उपप्रधानमंत्री ईश्वर पोखरेल से रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी वापस लेकर अपने पास रख ली थी. 

डिफेन्स स्टाफ कलेज में संबोधन करने का अवसर

जनरल नरवणे अपने भ्रमण के दौरान नेपाली सेना के डिफेन्स स्टाफ कलेज में वहां के प्रशिक्षु कैडेट्स को संबोधित करने वाले हैं. वह भारतीय सेना के पहले विदेशी सैन्य प्रमुख होंगे जिनको नेपाल के डिफेन्स स्टाफ कलेज में संबोधन करने का अवसर मिलेगा. जनरल नरवणे के भ्रमण के अवसर पर भारतीय सेना के तरफ से नेपाली सेना के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के लिए बहुत बड़ी मात्रा में दवाइयां, स्वास्थय सामाग्री, वेंटिलेटर, एम्बुलेंस, मोबाइल वैन आदि सहयोग स्वरूप प्रदान करने वाले हैं. 

पशुपतिनाथ के मंदिर में विशेष पूजा करेंगे

अपने दौरे के पहले दिन ही जेनरल नरवणे भगवान् पशुपतिनाथ के मंदिर में विशेष पूजा करेंगे. कोविड के कारण पिछले 8 महीने से पशुपतिनाथ का मंदिर आम दर्शनार्थियों के लिए बंद है. लेकिन नेपाल सरकार की तरफ से जनरल नरवणे के लिए बुधवार को कुछ समय के लिए विशेष रूप से इस मंदिर का दरवाजा खोला जाएगा. नरवणे अपने भ्रमण के आखिरी दिन वो माउन्टेन फ्लाईट से हिमालय और माउंट एवरेष्ट का नजारा लेने वाले हैं. 

सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए

भारतीय सेना प्रमुख के आगमन को लेकर काठमांडू में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. भारतीय सेना के विशेष विमान से काठमांडू में अवतरण के साथ ही विमानस्थल और उसके आसपास के क्षेत्र को पूरी तरह से खाली करवाया जाएगा. उनके द्वारा प्रयोग किए जाने वाले रूट को पूर्णत: रोक लगा दिया जाएगा ताकि सुरक्षा व्यवस्था में कोई भी चूक ना हो.  

सीमा विवाद के बाद पहला उच्चस्तरीय दौरा

नेपाल और भारत के बीच सीमा विवाद और नक्शेबाजी को लेकर लम्बे समय तक बनी संवादहीनता की अवस्था में भारत के तरफ से पिछले ११ महीने में यह पहला उच्च स्तरीय दौरा है. जब भारतीय सेना के प्रमुख जनरल नरवणे बुधवार से यहां तीन दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं.  भारत के कुछ हिस्से कालापानी, लिपुलेक और लिम्पियाधुरा के क्षेत्र पर अपना दावा करते हुए नेपाल की तरफ से नया नक्शा जारी करने के बाद से ही दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और राजनीतिक रिश्तों में दरार आ गया था. नौ महीने तक दोनों देशों के बीच संवादहीनता की स्थिति बनी रही. इसी बीच नेपाल ने संविधान में संशोधन करके अपने नए नक़्शे को कानूनी मान्यता भी दे दी. जिसके बाद तल्खी और अधिक बढ़ गई थी. 

दोनों देशों के बीच संबंध सुधार की उम्मीद

हालांकि १५ अगस्त को दोनों देशों के प्रधानमंत्री के बीच में टेलीफोन पर संवाद के बाद से हालात में थोड़ा सुधार हुआ है. भारत के साथ संबंध सुधार के प्रयास में रहे ओली ने अपने तरफ से राजनीतिक और कुटनीतिक संबंध को सुधारने के लिए सैन्य कूटनीति का सहारा लिया है. भारतीय सेनाध्यक्ष के नेपाल दौरा से सभी को उम्मीद है कि इससे दोनों देशों के बीच के राजनीतिक और कूटनीतिक रिश्तों में एक बार फिर से सुधार आ सकता है.