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अमरुल्लाह सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का 'केयर टेकर राष्ट्रपति' किया घोषित 

अफगानिस्तान में फिर से तालिबान राज की वापसी हो गई है. इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है कि अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह होंगे.

Updated on: 17 Aug 2021, 10:52 PM

highlights

  • अफगानिस्तान में फिर से तालिबान राज की वापसी हो गई
  • अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति होंगे अमरुल्लाह सालेह
  • तलिबान के चलते राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग खड़े हुए

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान में फिर से तालिबान राज की वापसी हो गई है. इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है कि अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह होंगे. अफगानिस्तान के पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने मंगलवार को ऐलान किया है कि वह देश में ही हैं और वैध कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं. तेज रफ्तार से तालिबान ने देश पर अपना कब्जा किया और उसके भय से राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग खड़े हुए हैं और उनके ठिकाने का पता नहीं चल पाया है. इससे पहले खबरें थीं कि सालेह भी गनी के साथ भाग गए हैं.

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अमरुल्ला सालेह ने एक ट्वीट में कहा कि राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, पलायन, इस्तीफा या मृत्यु में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है. मैं वर्तमान में अपने देश के अंदर हूं और वैध केयरटेकर राष्ट्रपति हूं. मैं सभी नेताओं से उनके समर्थन और आम सहमति के लिए संपर्क कर रहा हूं.

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि अब अफगानिस्तान पर जो बाइडेन से बहस करना बेकार है. उसे जाने दो. हमें अफगानों को यह साबित करना होगा कि अफगानिस्तान वियतनाम नहीं है और तालिबान भी दूर से वियतनामी कम्यूनिस्ट की तरह नहीं हैं. यूएस-नाटो के विपरीत हमने हौसला नहीं खोया है और आगे अपार संभावनाएं देख रहे हैं. चेतावनियां समाप्त हो गई हैं. प्रतिरोध में शामिल हों.

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संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादी अफगानिस्तान में राहत पहुंचाने में जुटे

संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादी और उनके सहयोगी अफगानिस्तान संकट की चुनौतियों के बावजूद काबुल में 17,500 से अधिक विस्थापित लोगों को राहत पहुंचा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के मुख्य प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, पिछले महीने 17,500 लोगों को नए आंतरिक रूप से विस्थापित के रूप में पहचाना गया है. हाल के दिनों में आने वाले ज्यादातर विस्थापित लोगों के गजनी और लोगर प्रांतों से आने की सूचना है.