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चीन का हॉन्ग कॉन्ग पर तानाशाही रवैया नहीं चलेगा, अमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा- आजादी का दमन करना बंद करो

वहीं दुनिया भर में मानवा अधिकारों की रक्षा की बात करने वाले गैर सरकारी संगठन अमनेस्टी इंटरनेशनल ने चीन के रवैये का कड़ा विरोध किया है. उसने कहा चीन हॉन्ग कॉन्ग में आजादी का दमन करना बंद करो.

Updated on: 04 Jun 2020, 07:12 PM

नई दिल्ली:

चीन (China) लगातार तानाशाही काम करके पूरी दुनिया की निगाहों में आ रहा है. चीन की संसद ने हाल में हॉन्ग कॉन्ग (Hong Kong) के उस नए सुरक्षा क़ानून को मंजूरी दे दी है जिसके तहत केंद्रीय सरकार की सत्ता को कमज़ोर करना अपराध माना जाएगा. हॉन्ग कॉन्ग पर लागू किए जाने वाले इस कानून का विरोध पूरी दुनिया में हो रहा है. ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने इसका जबरदस्त विरोध किया है. वो हॉन्ग कॉन्ग के नागरिकों के लिए अपने आव्रजन नियमों को बदलने की तैयारी कर रहे हैं.

वहीं दुनिया भर में मानवा अधिकारों की रक्षा की बात करने वाले गैर सरकारी संगठन अमनेस्टी इंटरनेशनल ने चीन के रवैये का कड़ा विरोध किया है. अमनेस्टी इंटरनेशनल ने ट्वीट करके कहा, 'चीन हॉन्ग कॉन्ग में आजादी का दमन करना बंद करो.' अमनेस्टी इंटरनेशनल ने कई बार इस वाक्य को दोहराया है.

अमनेस्टी इंटरनेशनल मानवाधिकारों की रक्षा की बात करता है

बता दें कि अमनेस्टी इंटरनेशनल एक गैर सरकारी संगठन है, जो दुनिया भर में मानव अधिकारों की रक्षा की बात करता है. इसकी स्थापना 1961 में पीटर बेननसन द्वारा की गई थी. इसका मुख्यालय लंदन में स्थित है. यह संगठन किसी भी राजनीतिक विचारधारा, जाति, धर्म के आधार पर काम नहीं करता है. इस संगठन को 1977 में नोबेल शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

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चीन के खिलाफ सड़क पर हो रहा आंदोलन 

हॉन्ग कॉन्ग में लगातार चीन के तानाशाही रैवेय को लेकर सड़क पर आंदोलन हो रहे हैं. हॉन्ग कॉन्ग से विशेष दर्जा खत्म करने के लिए चीन ने यह कानून लागू करने का फैसला लिया है. नए सुरक्षा क़ानून के तहत चीन को हॉन्ग कॉन्ग के भीतर अपनी सुरक्षा एजेंसियों के गठन का अधिकार होगा. हॉन्ग कॉन्ग में इस कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है. पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच झड़प भी हो रहे हैं.

नए सुरक्षा कानून को लेकर कई देशों ने किया विरोध 

वहीं दुनिया भर के दो सौ राजनेताओं ने नए सुरक्षा क़ानून के मसौदे की आलोचना करते हुए एक साझा बयान जारी किया था. उन्होंने अपने-अपने देश की सरकारों से ये साफ करने की अपील की है कि हॉन्ग कॉन्ग की स्वायतत्ता के साथ किसी किस्म की छेड़खानी स्वीकार नहीं की जाएगी. साझा बयान पर दस्तखत करने वाले लोगों में हॉन्ग कॉन्ग के पूर्व ब्रिटिश गवर्नर क्रिस पैटन भी शामिल हैं.

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दो दशक पहले हॉन्ग कॉन्ग की स्वायतत्ता को लेकर चीन-ब्रिटेन ने एक जॉइंट डिक्लेरेशन जारी किया था. इस साझा बयान में चीन की योजना को ऐतिहासिक जॉइंट डिक्लेरेशन का खुला उल्लंघन बताया गया है.

बोरिस जॉनसन ने हॉन्ग कॉन्ग के नागरिकों के लिए इस नियम में बदलाव करने की बात कही

प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, यदि चीन अपने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को हॉन्ग कॉन्ग में लागू करता है तो ब्रिटिश सरकार अपने आव्रजन नियमों को बदल देगी और पासपोर्ट धारी हॉन्ग कॉन्ग के किसी भी नागरिक को 12 महीने के लिए ब्रिटेन आने की अनुमति दी जाएगी. इनको आव्रजन अधिकार दिए जाएंगे जिसमें काम करने अधिकार भी शामिल है. यह उनके लिए नागरिकता का रास्ता खोलेगा.