चीन से संबंध सुधार तनाव खत्म करना चाहता है अमेरिका... यह बयान तो ऐसा ही लग रहा
वेदांत पटेल का यह बयान अमेरिकी उप विदेश मंत्री वैंडी शर्मेन और अमेरिका में चीनी राजदूत क्विन गैंग की मंगलवार को हुई बैठक के बाद आया है.
highlights
- परस्पर मतभेद दूर करने के लिए अमेरिका ने संचार के सभी माध्यम खोल रखे
- अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल का बीजिंग को लेकर बड़ा बयान
- नैंसी पेलोसी के बाद अमेरिकी सांसदों के ताईपे दौरे पर चीन ने फिर दी चेतावनी
वॉशिंगटन:
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से खार खाए बैठे चीन को लेकर अमेरिका के सुर बदल रहे हैं. कम से कम अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल (Vedant Patel) के हालिया बयान से तो ऐसा ही लगता है. वेदांत ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा कि समग्र विश्व पर प्रभाव डालने वाले कई महत्वपूर्ण मसलों पर सहयोग और परस्पर बातचीत के कई माध्यम चीन (China) ने बंद कर रखे हैं. वेदांत ने कहा कि परस्पर मतभेद दूर करने के लिए वॉशिंगटन (America) सार्थक और खुली बातचीत के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. वेदांत पटेल का यह बयान अमेरिकी उप विदेश मंत्री वैंडी शर्मेन और अमेरिका में चीनी राजदूत क्विन गैंग की मंगलवार को हुई बैठक के बाद आया है.
चीन से मतभेद दूर करना चाहता है वॉशिंगटन
हालांकि वेदांत पटेल ने उस मुलाकात के दौरान हुई चर्चा की जानकारी साझा करने से इंकार कर दिया. यह जरूर कहा कि अमेरिका क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के साथ-साथ एक चीन नीति से अलग ताइवान का समर्थन करने के लिए शांत और दृढ़ कदम उठाना जारी रखेगा. गौरतलब है कि अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताईपे यात्रा के बाद इंडियाना के गवर्नर एरिक हॉलकोंब की ताइवान यात्रा पर बीजिंग ने फिर से सख्त ऐतराज जताया था. नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद अमेरिकी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल की यह दूसरी ताईपे यात्रा थी. नैंसी पेलोसी के दौरे के बाद तो चीन ने ताइवान स्ट्रेट में असल युद्ध सरीखी मिलिट्री ड्रिल कई दिनों तक की थी.
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ताइवान को लेकर चीन ने फिर दी चेतावनी
चीन के सरकारी मीडिया ने इस दौरे को अमेरिकी नेताओं द्वारा ताइवान को मोहरे बतौर इस्तेमाल करना करार दिया था. ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक बीजिंग ताइवान के मसले को हल करने के लिए अपने हिसाब से चलेगा. ताइवान स्ट्रेट में सफल सैन्य अभ्यास के बाद बीजिंग ने साफ कर दिया है कि जरूरत पड़ने पर किसी भी संभावित समय पर सैन्य कार्रवाई की जा सकती है. ग्लोबल टाइम्स ने चाइनीज अकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के रिसर्च फैलो लु जियांग के हवाले से लिखा कि नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद एरिक हॉलकोंब की ताइवान यात्रा साफतौर पर अगली जहरीली कड़ी साबित हुई है, जिसके जरिये अमेरिकी राजनेताओं को लगता है कि वे ताइवान स्ट्रेट के तनाव को अपने पक्ष में भुना सकेंगे.
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चीन-अमेरिका संबंध ताइवान मसले पर केंद्रित
लु जियांग ने आगे कहा कि पेलोसी की उकसावेपूर्ण ताइवान यात्रा के बाद चीन अपनी स्थिति मजबूत करने के प्रयासों में जुट चुका है. अमेरिका द्वारा अपनी सीमा लांघने के बाद जो भी जरूरी कदम होंगे, उसे बीजिंग प्रशासन हर हाल में उठाएगा. चीन का मानना है कि वॉशिंगटन के साथ राजनयिक संबंधों का दारोमदार ताइवान सरीखे महत्वपूर्ण मसले पर निर्भर करता है. इसके उलट ताइवान सरकार का कहना है कि बीजिंग को ताईपे का अधिकार तय करने का कोई अधिकार नहीं है. ताइवान दौरे पर कौन आता है और कब आता है इसका फैसला ताईपे ही करेगा. नैंसी पेलोसी के ताईपे दौरे के बाद चीन के युद्धाभ्यास से बीजिंग ने संकेत दे दिया है कि वह 22 मिलियन की आबादी वाले ताइवान पर कभी भी आक्रमण कर सकता है.
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