चीन की कोशिशें 'जबरन और मुखर', अमेरिकी खुफिया एंजेसी CIA की चेतावनी

अमेरिका की खुफिया एजेंसी ने कहा है कि चीन विवादित क्षेत्रों में अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए 'जबरन और मुखर कोशिशों' को तेजी से अंजाम देने की तैयारी कर रहा है।

अमेरिका की खुफिया एजेंसी ने कहा है कि चीन विवादित क्षेत्रों में अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए 'जबरन और मुखर कोशिशों' को तेजी से अंजाम देने की तैयारी कर रहा है।

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Shivani Bansal
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चीन की कोशिशें 'जबरन और मुखर', अमेरिकी खुफिया एंजेसी CIA की चेतावनी

चीन की कोशिशें 'जबरन और मुखर', अमेरिकी खुफिया एंजेसी CIA की चेतावनी

अमेरिका के विदेश खुफिया विभाग के शीर्ष अधिकारी के मुताबिक चीन विवादित दक्षिण चीन सागर में और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए 'जबरन और मुखर कोशिशों' को तेजी से अंजाम देने की तैयारी कर रहा है।

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अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के डिप्टी एसिसटेंट डायरेक्टर मिशेल कॉलिन्स का यह बयान उस समय आया है जब सोमवार को पेंटागन ने बताया था कि विवादित पूर्वी चीन सागर में रविवार चीन के दो जे-10 लड़ाकू विमानों ने 'असुरक्षित' तरीके से अमेरिकी नौसेना के एक निगरानी करने वाले विमान को बाधित किया था।

चीन और जापान लंबे समय से अमेरिका के सहयोगी है जोकि पूर्व चीन सागर में द्वीपों की श्रृंखला पर अपना-अपना दावा करते हैं। सेनकाकु आयरलैंड पर कई बार दोनों के बीच मतभेद सामने आए हैं, जिसे बीजिंग दिआयु आयरलैंड बताता है। 

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इसके अलावा चीन दक्षिणी चीन सागर के साथ भी सीमा विवाद में उलझा हुआ है, जिस पर ताइवान, मलेशिया, ब्रुनई, वियतनाम और फिलिपींस दावा करते हैं। इस इलाके में कुछ द्वीप समूह भारी सैन्यबल के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। जिसका अमेरिका समेत कई देश विरोध करते है, जिसके तह्त 'नेविगेशन की स्वतंत्रता' का कार्यक्रम चलाया जाता है, जिस जलीय स्थान पर चीन अपना दावा करता है।

एसपैन इंस्टीट्यूट्स 2017 के सिक्योरिटी फोरम में कॉलिन्स ने कहा, 'वो (चीन) अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए जबरन और मुखर गतिविधियों का सहारा ले रहे हैं। जिसमें हम शामिल नहीं है लेकिन अन्य देश इस क्षेत्र में मौजूदगी रखते है। और इस वजह से हमें उत्तरी कोरिया, दक्षिण चीन सागर जैसे मुद्दों को और व्यापारिक स्थितियों को समझने के लिए, कैसे चीन इन मुद्दों को ले रहा है उस पर हमें ध्यान देना होगा।' 

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हालांकि, उन्होंने कहा साफ किया कि 'इसका मतलब यह नहीं' कि अमेरिका और चीन इस क्षेत्र में युद्ध करने जा रहे है। बहरहाल, उन्होंने कहा कि चीन के व्यवहार का यह मतलब नहीं है कि अमेरिका और चीन इस क्षेत्र में युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं। कोलिंस ने कहा, वे पूर्वी एशिया में पलटवार नहीं चाहते तथा उन्हें अपने देश को आगे ले जाने के लिए आर्थिक जरुरतों तथा तकनीक के लिए अमेरिका एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ स्थिर, मजबूत संबंधों की जरुरत है।

कोलिंस ने तो डोकलाम सेक्टर में जारी भारत और चीन के मौजूदा गतिरोध पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन अमेरिका में तैनात जापान के राजदूत केनिचिरो सासा ने भारत का जिक्र जरूर किया। भारत के साथ अपने मजबूत संबंधों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'इन दिनों हम अपने कुछ सहयोगी और मित्र देशों के साथ मिलकर एक साझा नेटवर्क विकसित कर रहे हैं। भारत भी इनमें शामिल है।'

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हालांकि कोलिंस ने अपने बयान में विवादित डोकला क्षेत्र में भारत-चीन के बीच जारी गतिरोध पर कुछ भी नहीं कहा लेकिन चीन की इन कोशिशों पर बोलते हुए अमेरिका में जापान के राजदूत ने भारत की स्थिति पर भी बात कही। 

उन्होंने कहा, 'चीन की महत्वाकांक्षा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में केवल अमेरिका से बराबरी करने तक ही सीमित नहीं है। चीन की आक्रामकता केवल उसकी आर्थिक महत्वकांक्षा नहीं, बल्कि कूटनीतिक महत्वकांक्षा है। चीन अमेरिका के साथ मुकाबला करना चाहता है।'

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Source : News Nation Bureau

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