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कोरोना के प्रकोप के बीच भारत में फंसे अपने नागरिकों को ऐसे बाहर निकालेगा अमेरिका

ट्रंप प्रशासन भारत में फंसे हुए उन सभी अमेरिकी नागरिकों को निकालने के लिए भारत सरकार के साथ समन्वय कर रहा है जिन्होंने अमेरिका लौटने की इच्छा व्यक्त की है.

Updated on: 31 Mar 2020, 08:55 AM

वाशिंगटन:

ट्रंप प्रशासन भारत में फंसे हुए उन सभी अमेरिकी नागरिकों को निकालने के लिए भारत सरकार के साथ समन्वय कर रहा है जिन्होंने अमेरिका लौटने की इच्छा व्यक्त की है. यहां के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी है. कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के तेजी से फैलने के बीच देश के फंसे हुए नागरिकों ने देश लौटने की इच्छा जताई है. दूतावास संबंधी मामलों के लिए प्रधान उपसहायक विदेश मंत्री ईयान ब्राउनली ने सोमवार को टेलीकॉन्फ्रेंस के दौरान संवाददाताओं से कहा कि अमेरिका 50 देशों से अपने करीब 25,000 नागरिकों को वापस लाया है और भारत समेत अन्य देशों में फंसे करीब 9,000 अन्य ने घातक कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के मद्देनजर अमेरिका लौटने की इच्छा जाहिर की है.

ब्राउनली ने कहा, 'हम देख रहे हैं कि बहुत से अमेरिकी नागरिक एशिया में भारत, बांग्लादेश और इंडोनेशिया से लौटना चाहते हैं. हमने उन्हें वापस लाने के लिए पहला विमान आज बांग्लादेश भेजा है और भारत में उड़ान सेवा शुरू करने के लिए हम वहां की सरकार के साथ समन्वय कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते जिन नागरिकों ने देश लौटने की इच्छा जताई है, अमेरिका उन्हें वापस लाने की व्यवस्था कर रहा है. ब्राउनली ने कहा, 'हम अगले हफ्ते 100 अतिरिक्त विमान भेजने पर विचार कर रहे हैं और हमने 9,000 अमेरिकी नागरिकों की पहचान की है जिन्होंने उन विमानों में सवार होने की इच्छा प्रकट की है.'

अधिकारी ने अमेरिकी नागरिकों से वापस आने के विकल्प चुनने के लिए अभी से योजना बनाने की अपील की है और कहा कि अब वे देख रहे हैं कि ज्यादातर अमेरिकी नागरिकों ने बाहर ही रहने का फैसला किया है और वहीं से संकट से उबरना तय किया है. उन्होंने कहा, 'अगर लोग अब इन विमानों से लौटने का लाभ नहीं लेते हैं तो उन्हें वहीं रहना होगा जहां वे फिलहाल हैं.' भारत में अमेरिकी दूतावास ने सोमवार को कहा कि वह इस हफ्ते नयी दिल्ली और मुंबई से कई उड़ानों के अमेरिका जाने की आशा कर रहे हैं. भारत अपने सभी नागरिकों को मुफ्त में देश वापस लाया था लेकिन अमेरिका इसके उलट ज्यादातर वक्त निजी एयरलाइन्स की सेवा लेता है और उसके नागरिकों को इसका भुगतान करना होता है जो नियमित किराये से बहुत ज्यादा होता है.