अमेरिका ने प्योंगयांग-सियोल वार्ता का स्वागत किया

उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया द्वारा फरवरी में आयोजित किए जा रहे प्योंगचेंग शीतकालीन ओलंपिक्स में अपना एक प्रतिनिधिमंडल भेजने पर भी सहमति जताई है।

उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया द्वारा फरवरी में आयोजित किए जा रहे प्योंगचेंग शीतकालीन ओलंपिक्स में अपना एक प्रतिनिधिमंडल भेजने पर भी सहमति जताई है।

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Sonam Kanojia
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अमेरिका ने प्योंगयांग-सियोल वार्ता का स्वागत किया

फाइल फोटो

अमेरिका ने पिछले दो सालों के बाद उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच हुई पहली वार्ता का एक सकारात्मक संकेत के रूप में स्वागत किया है, लेकिन इस मुद्दे पर अपना पूर्ण समर्थन जाहिर नहीं किया है।

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समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, व्हाइट हाउस ने उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच हुई उच्चस्तरीय वार्ता का स्वागत किया। इस वार्ता में दोनों पक्षों के बीच अलग से सैन्य वार्ताएं करने पर भी सहमति बनी।

उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया द्वारा फरवरी में आयोजित किए जा रहे प्योंगचेंग शीतकालीन ओलंपिक्स में अपना एक प्रतिनिधिमंडल भेजने पर भी सहमति जताई है।

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व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने कहा, 'उत्तर कोरिया की भागीदारी प्रशासन के लिए एक मौका है, जब वह परमाणु निरस्त्रीकरण द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुद को अलग-थलग कर दिए जाने को खत्म करने के प्रभाव का आकलन कर सकता है।'

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता स्टीव गोल्डस्टीन ने कहा, 'स्पष्ट रूप से यह एक सकारात्मक संकेत है।' गोल्डस्टीन ने साथ ही कहा, 'हम चाहते हैं कि परमाणु मुद्दे पर वार्ता हो और यह उस प्रक्रिया में एक अच्छा पहला कदम है।'

साप्ताहांत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन से बातचीत के लिए अपनी सहमति जाहिर की थी और आगामी वार्ताओं का समर्थन किया था।

हालांकि, ट्रंप और अन्य अमेरिकी अधिकारियों ने बिना किसी पूर्व शर्त के अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच सीधी बातचीत की इच्छा जाहिर नहीं की है।
ट्रंप का कहना है कि इस मामले में कोई भी बातचीत बिना शर्त के नहीं हो सकती।

विशेषज्ञों ने अमेरिका को कोरियाई प्रायद्वीप के परमाणु निरस्त्रीकरण और शांति बहाली प्रक्रिया के लिए आगे आने का आग्रह किया है।

उत्तर कोरियाई मामलों के अमेरिकी विशेषज्ञ जॉन डेलरी ने कहा है कि परमाणु निरस्त्रीकरण, हथियारों के नियंत्रण और शांति बहाली की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका की प्रत्यक्ष भागीदारी जरूरी है।

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Source : IANS

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