आखिर डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों किए कश्मीर मुद्दे पर भारत को लेकर झूठे दावे, हो सकती हैं ये 5 वजह
जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया तो ट्रंप ने दावा किया कि इस मुद्दे को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके सामने उठा चुके हैं और उनसे इस मामले में मदद मांग चुके हैं
नई दिल्ली:
सोमवार को जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया तो ट्रंप ने दावा किया कि इस मुद्दे को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके सामने उठा चुके हैं और उनसे इस मामले में मदद मांग चुके हैं. उनका कहना था कि भारत की तरफ से मदद की अपील के बाद वो इस मामले में मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं.
वहीं दूसरी ओर भारत की तरफ से डोनाल्ड ट्रंप के दावे को खारिज कर दिया गया है. भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस मसले पर कहा कि पीएम मोदी ने ट्रंप से इस तरह की कोई भी अपील नहीं की है. पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों पर केवल द्विपक्षीय चर्चा की जाती है. अब भारत और पाकिस्तान के साथ बातचीत तभी होगी जब व सीमापार आतंकवाद खत्म करेगा.
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ऐसे में जब भारत ने ट्रंप के दावों को खारिज कर दिया है तो सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ट्रंप ने भारत को लेकर इस तरह का झूठ बोला ही क्यों? इस मुद्दे पर गहराई से सोचने पर कुछ ऐसी वजह सामने आती है जिसके चलते शायद डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को लेकर ये झूठ बोला हो. आइए जानते हैं क्या है वो वजह
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1. ट्रंप के इस बयान के पीछे एक बड़ी वजह हो सकती है ये साबित करना कि मामला चाहे किसी भी देश का हो लेकिन सुलझाने के लिए उसे अमेरिका की मदद लेनी ही पड़ेगी
2. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धीरे-धीरे दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक बन गए हैं. ऐसे में इस बयान के जरिए शायद ट्रंप ये जताना चाहते थे कि वो अब भी दुनिया के सबसे ताकतवर नेता हैं.
3. हो सकता है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बयान के जरिए पाकिस्तान को ये जताना चाहते थे कि वो पाकिस्तान के साथ हैं, ताकि पाकिस्तान चीन का साथ छोड़ उनका साथ दे
4. हो सकता है कि 'मिशन अफगानिस्तान' के लिए अमेरिका को पाकिस्तानी फौज की मदद चाहिए और इसलिए उसने इस तरह का बयान दिया हो.
5. इसकी एक बड़ी वजह ये भी हो सकती है कि कश्मीर मसले में घुसकर ट्रंप खुद को नोबेल प्राइज की दावेदारी में शामिल करवाना चाहते हों क्योकि अमेरिका के कई पूर्व राष्ट्रपतियों को ये पुरस्कार मिल चुका है.
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