परमाणु प्रसार पर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्विट कर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है। डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को ट्विट कर कहा है कि अमेरिका को अपने परमाणु विस्तार पर और ध्यान देने की ज़रुरत है ऐसे समय में जब दुनिया परमाणु शक्ति के बारे में अपने होश में आए। डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान को मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की नीतियों के विरुध माना जा रहा है। मौजूदा अमेरिकी प्रशासक की नीतियां परमाणु विस्तार की गति को रोकने और परमाणु हथियारों के उन्मूलन को बढ़ावा देने की रही है। ऐसे में ट्रंप के इस बयान को बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।
अमेरिकी अखबार वॉशिंग्टन पोस्ट के मुताबिक यह बयान अमेरिका के सुरक्षा नीतियों में बड़े बदलाव का संकेत है। जबकि अमेरिका की नॉन प्रॉलिफेटेरियन लॉबी ने निर्वाचित राष्ट्रपति की ओर से ऐसे बयान को एक ख़तरे की घंटी बताया है। सेंटर ऑफ आर्म्स कंट्रोल और नॉन प्रॉलिफेटेरियन के एग्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर जॉन टायरनी ने कहा कि "नवनिर्वाचित राष्ट्रपति की ओर से अमेरिकी परमाणु हथियार नीतियों पर घोषणा इस प्रकार कुल 140 शब्दों के ज़रिए करना बेहद जटिल बयान है जो इस धरती पर प्रत्येक व्यक्ति पर असर डालेगा।"
टायरनी के मुताबिक शीत युद्ध के अंत के बाद, यह तय हुआ था कि अमेरिकी सुरक्षा नीतियों और परमाणु हथियार के भंडार में कमी की जाएगी। परमाणु अप्रसार भंडार की नीतियों पर फैसला लेना एक प्रकार से रुस के साथ हुई आम सहमति पर चोट करेगा और निश्चित रुप से परमाणु हथियार रखने के लिए एक नई दौड़ को शुरु कर देगा।
7,000 से ज़्यादा हथियारों के भंडार के साथ अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु हथियार वाला देश है। इसके बाद रुस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन का नंबर आता है।
चिंता जताते हुए टायरनी ने कहा कि नए परमाणु हथियार बनाना और विस्फोटक सामग्री को बढ़ावा देना दुनिया भर में संदेश देगा कि नॉन प्रॉफिलेटेरियन का अमेरिका में कोई वजूद नहीं है।
ट्रंप का बयान पेंटागन के प्रमुख अधिकारियों से मुलाकात के एक दिन बाद आया है। इस मीटिंग में एयर फोर्स के लेफ्टिनेंट जनरल जैक विंस्टिन और स्ट्रेटेजिक डेटरेंस और न्यूक्लियर इंट्रीग्रेशन कर्मचारियों के उपाध्यक्ष भी मौजूद थे। मौजूदा योजना अमेरिकी न्यूक्लियर आर्सेलन के आधुनिकिकरण और रखरखाव पर अगले तीन दशकों में करीब 1 खरब अमेरिकी डॉलर खर्च करने की है।
Source : PTI