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अमेरिका और चीन में ट्रेड वॉर को लेकर समझौता जल्द, भारत को इस संधि से होगा फायदा

चीन में ब्याज दरें घटने से वहां कारोबार कर रही भारतीय कंपनियों को सीधा फायदा मिलेगा. खासकर टाटा मोटर्स की कुल बिक्री का 10 फीसदी हिस्सा चीन से आता है.

Updated on: 01 Jan 2020, 06:05 PM

highlights

  • अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर को खत्म करने के लिए 15 जनवरी को समझौते पर दस्तखत करेंगे.
  • चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए ब्याज दरें घटाने का भी ऐलान किया है.
  • चीन में ब्याज दरें घटने से वहां कारोबार कर रही भारतीय कंपनियों को सीधा फायदा मिलेगा.

नई दिल्ली:

2019 में अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध का सीधा असर अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा था. दोनों देशों ने एक-दूसरे के कई उत्पादों को प्रतिबंधित
कर दिया था या उन पर करों की भारी-भरकम सीमा लाद दी थी. ऐसे में 2020 के आगाज के साथ ही नई उम्मीद जगी है कि सुस्त चल रही वैश्विक अर्थव्यवस्था को इन दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर को खत्म करने की पहल सकारात्मक बूस्ट प्रदान करेगी. अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर को खत्म करने के लिए 15 जनवरी को समझौते पर दस्तखत करेंगे.

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चीन ने घटाई ब्याज दरें
ट्रेड वॉर के खात्मे की ओर कदम बढ़ाने के साथ ही चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए ब्याज दरें घटाने का भी ऐलान किया है. चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने ब्याज दरें 0.50 फीसदी घटा दी है. घटी हुई नई दरें 6 जनवरी 2020 से लागू होंगी. विशेषज्ञों का कहना है कि साल के पहले दिन उठाए गए ये दोनों कदम भारत समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर साबित होंगे. चीन में ब्याज दरें घटने से वहां कारोबार कर रही भारतीय कंपनियों को सीधा फायदा मिलेगा. खासकर टाटा मोटर्स की कुल बिक्री का 10 फीसदी हिस्सा चीन से आता है.

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भारत को मिलेगा बड़ा फायदा
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर थमने से भारत समेत दुनियाभर के देशों की बड़ी चिंता दूर हो जाएगी. इस स्थिति में भारत भी अपने सामान को आसानी से अन्य देशों को एक्सपोर्ट कर पाएगा. लिहाजा अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा. हालांकि इस ट्रेड वॉर के दौर में भारत और चीन के बीच कारोबार काफी बढ़ा है. ऐसे में अमेरिका-चीन में ट्रेड वॉर समझौते का भारत के धातु और खनन उद्योग पर सीधा असर पड़ेगा. गौरतलब है कि ट्रेड वॉर के कारण अमेरिका और चीन को इस साल अपनी जीडीपी का 0.25 फीसदी हिस्सा गंवाना पड़ सकता है.